भगवंत मान ने ‘‘नॉलेज शेयरिंग एग्रीमेंट’’ की आड़ में पंजाब के हितों को दिल्ली को बेच दिया: सरदार सुखबीर सिंह बादल
मुख्यमंत्री यह बताएं कि उन्होने दिल्ली को अपनी स्वायत्ता सौंपकर और राज्य का प्रशासनिक कंट्रोल अरविंद केजरीवाल को सौंपकर पंजाब के साथ विश्वासघात क्यों किया
चंडीगढ़/26अप्रैल(विश्व वार्ता): शिरोमणी अकाली दल के अध्यक्ष सरदार सुखबीर सिंह बादल ने आज कहा है कि पंजाब के मुख्यमंत्री श्री भगवंत मान ने नॉलेज शेयरिंग एग्रीमेंट की आड़ में पंजाब के हितों को दिल्ली को बेच दिया है और आप पार्टी के संयोजक अरविंद केजरीवाल पंजाब के असली मुख्यमंत्री बन गए हैं।
इस घटनाक्रम को पंजाब के इतिहास में काला दिन करार देते हुए अकाली दल अध्यक्ष ने कहा कि राज्य के इतिहास में पहले कभी बाहरी लोगों को इस तरह से राज्य और आने वाली पीढ़ियों का नियंत्रण नही दिया गया था। ‘‘ एक नगरपालिका अध्यक्ष को पंजाब के मुख्यमंत्री पद का प्रभार दिया गया है। पंजाब दिल्ली के अधीन हो गया है, जो एक राज्य भी नही है’’।
पंजाब के मुख्यमंत्री से बताने के लिए कहा कि उन्होने दिल्ली को अपनी स्वायत्ता सौंपकर , पंजाब और उसके लोगों को धोखा क्यों दिया , कहते हुए सरदार सुखबीर सिंह बादल ने कहा कि भगवंत मान ने पंजाबियों के गौरव को चोट पहुंचाई है। ‘‘ इस समझौते से यह स्पष्ट हो जाता है कि पंजाब के सभी मंत्री और अधिकारी अब केजरीवाल को रिपोर्ट करेंगें और बाद में पंजाब सरकार की सभी फाइलों तक उनकी पहंुच होगी। यह आधिकारिक गोपनियता अधिनियम के उल्लंघन का भी मामला है, भले ही समझौते के क्लॉज 3 ,भविष्य की सरकारों को इसके तहत लिए गए निर्णयों के लिए बाध्य करता है। हम पंजाब के गर्वनर से संपर्क करेंगें और उनसे पंजाब विरोधी समझौते पर अपनी सहमति वापिस लेने के लिए मुख्यमंत्री को निर्देश देने का आग्रह करेगें। पार्टी अपनी कोर कमेटी की आपात मीटिंग में अपनी अगली कार्रवाई की योजना भी बनाएगी।
सरदार बादल ने कहा कि ‘‘समझौते ’’ के नतीजे खतरनाक हो सकते हैं, ‘‘ हमें आशंका है कि ऐसी स्थिति पैदा हो सकती है , जिससे केजरीवाल पंजाब के मुख्यमंत्री को हरियाणा और दिल्ली के लिए राज्य के दरिया के पानी पर हस्ताक्षर करने के लिए मजबूर कर सकते हैं , जिस तरह से कांग्रेस के मुख्यमंत्री दरबारा सिंह को तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी द्वारा ऐसा करने के लिए मजबूर किया गया था। उन्होने कहा कि स्थिति पहले से ही खराब हो चुकी है। ‘‘ पंजाब के मंत्रियों को अब अपने राज्य की रक्षा करना मुश्किल हो रहा है, क्योंकि खाद्य एवं आपूर्ति मंत्री ने एसवाईएल नहर पर पंजाब के रूख को स्पष्ट करने के लिए कहे जाने पर कोई ‘‘ टिप्पणी ’’ नही दी है।
सरदार बादल ने भगवंत मान से रबर स्टैंप की तरह से काम नही करने और यदि उन्हे पंजाबी होने पर गर्व है तो उन्हे समझौते को रदद करना चाहिए। उन्होने कहा कि मुख्यमंत्री को पता होना चाहिए केजरीवाल की नजर शुरू से ही पंजाब के मुख्यमंत्री की कुर्सी पर है। ‘‘ आप पार्टी की सरकार के शपथ लेने के तुरंत बाद केजरीवाल ने राज्य के चीफ सेक्रेटरी और पुलिस चीफ को दिल्ली बुलाना शुरू कर दिया और यहां तक कि तबादलों और पोस्टिंग पर भी फैसला करना शुरू कर दिया है। जब इससे आलोचना होने लगी तो ‘‘ ज्ञान का आदान प्रदान’’ समझौते को लाकर व्यवस्था को संस्थागत बनाने के लिए साजिश रची गई, जो पंजाब के प्रशासनिक नियंत्रण को दिल्ली सरकार को सौंपने के लिए तैयार किए गए एक दस्तावेेज के अलावा कुछ भी नही है’’।
दिल्ली में हुई आज प्रेस कांफ्रेस का जिक्र करते हुए, जहां दोनो राज्यों के बीच कथित समझौते पर हस्ताक्षर किए गए हैं, सरदार बादल नेे कहा कि पंजाब के मुख्यमंत्री ने कहा कि वह दिल्ली के मॉडल को सीखना और उसका लाभ उठाना चाहते हैं, जबकि दिल्ली के डिप्टी सीएम मनीष सिसोदिया ने रिकॉर्ड में कहा था कि दिल्ली ने पंजाब के मेरिटोरियस स्कूल मॉडल की नकल की थी, जिसे पूर्व सीएम सरदार परकाश सिंह बादल ने लागू किया था’’।
सरदार बादल ने कहा कि पंजाब के मुख्यमंत्री को भी अकाली दल की अगुवाई वाली सरकार के दौरान शिक्षा और स्वास्थ्य के क्षेत्र में पंजाब द्वारा किए गए कार्यों की जानकारी नही थी। उन्होने कहा कि यह सच है कि स्कूलों के राष्ट्रीय प्रदर्शन ग्रेडिंग में दिल्ली 32वें स्थान पर है, जबकि इससे पहले अकाली दल के नेतृत्व वाली सरकार के दौरान पंजाब ने स्कूली शिक्षा पर एक राष्ट्रीय सर्वेक्षण में दूसरा स्थान हासिल किया था। उन्होने कहा कि यह भी सच्चाई है कि दिल्ली के 1027 सरकारी स्कूलों में 203 ही प्रिंसीपल हैं और दिल्ली में कुल मिलाकर 24,500 शिक्षकों की कमी हैं। उन्होने कहा कि इसी तरह स्वास्थ के मामले में 480 मोहल्ला क्लीनिकों में से 270 नही चल रहे हैं, जबकि कोविड संकट के दौरान दिल्ली सरकार का स्वास्थ्य बुनियादी ढ़ांचा बुरी तरह से ढ़ह हो गया था। उन्होने कहा कि पंजाब के मुख्यमंत्री जाहिर तौर पर अपने समकक्ष को यह भी बताना भूल गए कि सरदार परकाश सिंह बादल द्वारा शुरू किए गए महाराजा रंजीत सिंह आर्म्ड प्रिपेरटरी स्कूलों के परिणामस्वरूप 97 कैडेट एनडीए में शामिल हो गए और इन अकादमियों के 65 कैडेट सेना में कमीशन अधिकारी बन गए हैं।