बसपा का लोकसभा चुनाव अकेले लड़ने का ऐलान
चंडीगढ, 15 जनवरी (विश्ववार्ता)बहुजन समाज पार्टी (बीएसपी) चीफ मायावती ने आज अपने जन्मदिन पर लोकसभा चुनाव में अपनी पार्टी के अकेले चुनाव लड़ने का ऐलान कर दिया। मायावती के इस ऐलान से कांग्रेस को तगड़ा झटका लगा है। देश की सबसे पुरानी पार्टी को आस थी कि मायावती I.N.D.I.A गठबंधन का हिस्सा होंगी। लेकिन मायावती ने न केवल अकेले चुनाव लड़ने का ऐलान किया बल्कि समाजवादी पार्टी के मुखिया अखिलेश यादव पर भी हमला किया।
उन्होंने अखिलेश को गिरगिट की तरह रंग बदलने वाला बताया। बीएसपी सुप्रीम ने इसके अलावा दावा किया कि गठबंधन करने से बीएसपी को फायदा नहीं होता है और बाकी पार्टियों का वोट बीएसपी को ट्रांसफर नहीं होता है। तो क्या बीएसपी चीफ मायावती के वोट ट्रांसफर नहीं होने के दावे में सच है? आइए समझते हैं।
गौरतलब है कि बीएसपी ने 1993 और 2019 में एसपी के साथ गठबंधन करके क्रमश: विधानसभा और लोकसभा का चुनाव लड़ा था। हरिद्वार सीट से बीएसपी की तरफ से मायावती भी चुनाव लड़ी थीं। इस उपचुनाव में कांग्रेस कैंडिडेट राम सिंह 1 लाख 49 हजार 377 वोट लेकर 23 हजार 978 वोटों से जीत दर्ज की थी। दूसरे नंबर पर मायावती रही थीं और उन्हें 1 लाख 25 हजार 399 वो मिले थे। पासवान चौथे नंबर पर खिसक गए थे और उन्हें महज 34 हजार 225 वोट ही मिल पाए थे। यहां से बीएसपी के उभार की कहानी शुरू होती है।