कर्पूरी ठाकुर को भारत रत्न से सम्मानित की घोषणा
जानिए उनके बारे में सबकुछ
चंडीगढ, 24 जनवरी (विश्ववार्ता) केंद्र सरकार ने स्वतंत्रता सेनानी, शिक्षक, राजनीतिक्ष व बिहार के पूर्व मुख्यमंत्री कर्पूरी ठाकुर को भारत रत्न दिए जाने का ऐलान किया गया है। मंगलवार को राष्ट्रपति भवन से जारी एक विज्ञप्ति में यह जानकारी दी गई है।कर्पूरी ठाकुर की बुधवार को होने वाली 100वीं जन्म जयंती से पहले उन्हें मरणोपरांत भारत रत्न से सम्मानित किए जाने का ऐलान किया गया है।
बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने खुशी जताते हुए कहा कि उनकी पार्टी जनता दल (यूनाइटेड) की बहुत पुरानी मांग पूरी हो रही है जिससे समाज के वंचित तबकों में सकारात्मक संदेश जाएगा। ठाकुर पहली बार 1952 में बिहार विधानसभा के लिए चुने गए और वह 1988 में निधन तक लगातार विधायक रहे।
बता दें कि कर्पूरी ठाकुर को भारत रत्न देने के लिए लंबे समय मांग उठ रही थी। इससे पहले जेडीयू नेता केसी त्यागी ने ठाकुर को भारत रत्न देने के साथ-साथ उनके नाम पर विश्वविद्यालय खोलने की मांग की थी।
कर्पूरी ठाकुर दो बार रहे बिहार के मुख्यमंत्री
‘जननायक’ के रूप में मशहूर ठाकुर पहले गैर-कांग्रेसी नेता थे जो दिसंबर 1970 से जून 1971 तक और दिसंबर 1977 से अप्रैल 1979 तक दो बार बिहार के मुख्यमंत्री रहे। उनका 17 फरवरी, 1988 को निधन हो गया था। ठाकुर से पहले 2019 में दिवंगत राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी को ‘भारत रत्न’ से सम्मानित किया गया था। नाई समाज से संबंध रखने वाले ठाकुर का जन्म 24 जनवरी, 1924 को हुआ था। उन्हें बिहार की राजनीति में 1970 में पूरी तरह शराब पाबंदी लागू करने का श्रेय दिया जाता है। समस्तीपुर जिले में जिस गांव में उनका जन्म हुआ था, उसका नामकरण कर्पूरी ग्राम किया गया।
ठाकुर ने भारतीय स्वतंत्रता संग्राम के लिए कॉलेज की पढ़ाई छोड़ दी थी और उन्हें 1942 से 1945 के दौरान ‘भारत छोड़ो आंदोलन’ में शामिल होने के लिए गिरफ्तार किया गया था। वह राम मनोहर लोहिया जैसे नेताओं से प्रभावित थे जिन्होंने स्वतंत्र भारत में समाजवादी आंदोलन चलाया था। वह जयप्रकाश नारायण के भी करीबी थे। मुख्यमंत्री के रूप में ठाकुर के कार्यकाल को मुंगेरी लाल आयोग की सिफारिशें लागू करने के लिए भी याद किया जाता है जिसके तहत राज्य में पिछड़े वर्गों के लिए आरक्षण लागू किया गया था। मुंगेरी लाल आयोग ने अत्यंत पिछड़ा वर्ग नाम से एक उप-श्रेणी बनाई थी जिसके आधार पर बाद में नीतीश कुमार ने ‘अति पिछड़ा’ का मुद्दा बनाया।