आज जालंधर में सभी स्कूलों और कालेजों में दोपहर को रहेगी आधे दिन की छुट्टी
चंडीगढ, 15 जनवरी (विश्ववार्ता) डिप्टी कमिश्नर कम जिला मैजिस्ट्रेट विशेष सारंगल द्वारा श्री गुरु गोबिंद सिंह जी के प्रकाश पर्व के संबंधी 15.01.2024 को जालंधर शहर में होने वाले विशाल नगर कीर्तन के मद्देनजर सभी सरकारी, गैर सरकारी में स्कूल और कालेज में दोपहर को आधे दिन की छुट्टी के आदेश दिए गए है।
जारी आदेशों के अनुसार नगर कीर्तन के कारण रूट डाईर्वट किया गया है तथा लोगों की धार्मिक भावनाओं, विद्यार्थियों की सुविधा एवं सुरक्षा को ध्यान में रखते हुए नगर कीर्तन शहर के सभी सरकारी एवं गैर सरकारी स्कूलों एवं कालेजो जालंधर नगर निगम की सीमा में दोपहर को आधे दिन की छुट्टी घोषित कर दी गई है।
गुरु गोविंद सिंह सिखों के दसवें गुरु थे। पिता गुरु तेग बहादुर जी की मृत्यु के उपरांत 11 नवंबर, 1675 में वह गुरु बने। वह एक महान योद्धा, कवि, भक्त एवं आध्यात्मिक गुरु थे। वर्ष 1699 में बैसाखी के दिन उन्होंने खालसा पंथ की स्थापना की थी। गुरु गोविंद सिंह जहां विश्व की बलिदानी परंपरा में अद्वितीय थे, वहीं वह स्वयं एक महान लेखक, मौलिक चिंतक तथा संस्कृत सहित कई भाषाओं के ज्ञाता भी थे। उन्होंने कई ग्रंथों की रचना की। वह विद्वानों के संरक्षक थे। उनके दरबार में 52 संत कवियों तथा लेखकों की उपस्थिति रहती थी, इसीलिए उन्हें ‘संत सिपाही’ भी कहा जाता है। वह भक्ति तथा शक्ति के अद्वितीय संगम थे। उन्होंने सदा प्रेम, एकता और भाईचारे का संदेश दिया।
किसी ने गुरुजी का अहित करने की कोशिश भी की तो उन्होंने अपनी सहनशीलता, मधुरता और सौम्यता से उसे परास्त कर दिया। गुरुजी की मान्यता थी कि मनुष्य को न तो किसी से डरना चाहिए और ना ही किसी को डराना चाहिए। वह बाल्यकाल से ही सरल, सहज, भक्ति-भाव वाले कर्मयोगी थे। उनकी वाणी में मधुरता, सादगी, सौजन्यता एवं वैराग्य की भावना कूट-कूटकर भरी थी। उनके जीवन का प्रथम दर्शन ही था कि धर्म का मार्ग ही सत्य का मार्ग है और सत्य की ही सदैव विजय होती है। गुरु गोविंद सिंह जी का नेतृत्व सिख समुदाय के इतिहास में बहुत कुछ नया लेकर आया।