Uttarakhand में आज लागू हो जाएगी समान नागरिक संहिता
मुख्यमंत्री धामी करेंगे पोर्टल की लॉन्चिंग
UCC लागू होने के बाद होंगे कई महत्वपूर्ण बदलाव
चंडीगढ़, 27 जनवरी (विश्ववार्ता) उत्तराखंड में आज यानि की 27 जनवरी 2025 को समान नागरिक संहिता लागू होने जा रही है। मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी के नेतृत्व में राज्य सरकार ने तीन साल की मेहनत के बाद इस कानून को लागू करने की तैयारी पूरी कर ली है। यह कदम प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के देहरादून आगमन से ठीक एक दिन पहले उठाया जा रहा है, जिससे इस पहल को राष्ट्रीय स्तर पर और अधिक महत्व मिलने की उम्मीद है।
(यूसीसी) लागू होने से होने वाले बदलाव
उत्तराखंड में समान नागरिक संहिता (यूसीसी) लागू होने के बाद कई महत्वपूर्ण बदलाव होंगे, जो राज्य के नागरिकों के जीवन को प्रभावित करेंगे। यहां पर हम उन बदलावों का विस्तार से उल्लेख कर रहे हैं:
वसीयत और संपत्ति के अधिकार
कोई भी व्यक्ति अपनी संपत्ति को वसीयत के द्वारा किसी भी व्यक्ति को दे सकता है, चाहे वह रिश्तेदार हो या नहीं।
लिव इन रिश्तों में पंजीकरण
लिव इन में रहने वाले सभी लोगों के लिए वेब पोर्टल पर पंजीकरण अनिवार्य होगा।
लिव इन में रहने वाले युगल पंजीकरण रसीद से ही किराये पर घर, हॉस्टल या पीजी ले सकेंगे।
लिव इन में पैदा होने वाले बच्चों के अधिकार
लिव इन में जन्म लेने वाले बच्चों को जायज संतान माना जाएगा और उन्हें जैविक संतान के सभी अधिकार मिलेंगे।
संबंध विच्छेद का पंजीकरण
लिव इन रिश्तों में रहने वालों के लिए संबंध विच्छेद (तलाक) का पंजीकरण भी अनिवार्य होगा।
यदि पंजीकरण नहीं कराया गया तो दोषियों पर छह महीने का कारावास या 25,000 रुपये का जुर्माना या दोनों हो सकते हैं।
विवाह, तलाक और विरासत के लिए समान कानून
सभी धर्मों और समुदायों में विवाह, तलाक, गुजारा भत्ता और विरासत के लिए एक ही कानून लागू होगा।
तलाक और शादी का पंजीकरण अनिवार्य
26 मार्च 2010 के बाद से हर दंपती को तलाक और शादी का पंजीकरण कराना अनिवार्य होगा।
यह पंजीकरण ग्राम पंचायत, नगर पंचायत, नगर पालिका, नगर निगम, महानगर पालिका स्तर पर किया जा सकेगा।
पंजीकरण न कराने पर जुर्माना
अगर पंजीकरण नहीं कराया गया तो 25,000 रुपये तक का जुर्माना होगा।
बिना पंजीकरण के लोग सरकारी सुविधाओं का लाभ नहीं ले सकेंगे।
विवाह की न्यूनतम आयु
विवाह के लिए लडक़े की न्यूनतम आयु 21 वर्ष और लडक़ी की 18 वर्ष होगी।
महिलाओं के तलाक के अधिकार
महिलाएं भी पुरुषों के समान कारणों और अधिकारों को तलाक का आधार बना सकती हैं।
हलाला और इद्दत जैसी प्रथाओं को खत्म किया जाएगा और महिलाओं को दोबारा विवाह करने की पूरी स्वतंत्रता होगी।
संपत्ति में समान अधिकार
बेटा और बेटी को संपत्ति में बराबर अधिकार होंगे।
जायज और नाजायज बच्चों में कोई भेदभाव नहीं होगा और नाजायज बच्चों को भी जैविक संतान के रूप में माना जाएगा।
गोद लिए और सरगोसी से पैदा हुए बच्चे
गोद लिए गए बच्चे और सरगोसी (प्रजनन तकनीक) से जन्मे बच्चे भी जैविक संतान के समान अधिकार रखते हैं।
गर्भ में पल रहे बच्चे के अधिकार
किसी महिला के गर्भ में पल रहे बच्चे के संपत्ति में अधिकार संरक्षित रहेंगे।
एकल विवाह
एक पति और पत्नी के जीवित होने पर दूसरा विवाह पूरी तरह से प्रतिबंधित होगा।
बच्चों की कस्टडी
तलाक या घरेलू झगड़ों के समय, 5 साल तक के बच्चों की कस्टडी उसकी मां के पास रहेगी।
धर्म परिवर्तन और तलाक
अगर कोई व्यक्ति बिना सहमति के धर्म परिवर्तन करता है तो उसका साथी तलाक लेने और गुजारा भत्ता प्राप्त करने का अधिकार रखेगा।
समान नागरिक संहिता (यूसीसी) के लागू होने से उत्तराखंड में समाज में समानता, न्याय और पारदर्शिता बढ़ेगी। यह बदलाव नागरिकों के व्यक्तिगत अधिकारों को मजबूत करेगा और उन्हें समान अवसर और अधिकार प्रदान करेगा।