देशभर के टोल नाके होंगे खत्म
एक्सप्रेस-वे पर 20KM तक सफर होगा बिल्कुल फ्री
टोल नियमों में बड़ा बदलाव: अब 20 किमी तक नहीं देना होगा शुल्क
सरकार ने बदल दिए टोल के ये नियम, जानें नया सिस्टम
चंडीगढ़, 11 सिंतबर (विश्ववार्ता) आने वाले समय में आपको टोल नाके पर टोल टैक्स देने की जरूरत नहीं होगी। दरअसल, सरकार ने टोल वसूली के लिए जीपीएस आधारित सिस्टम को नोटिफाई किया है। सड़क परिवहन और राजमार्ग मंत्रालय ने मंगलवार राष्ट्रीय राजमार्ग शुल्क नियम, 2008 को संशोधित कर GPS के माध्यम से इलेक्ट्रॉनिक टोल संग्रह शुरू करने का ऐलान किया है। आपको बता दें कि इस नए तरीके में टोल क्लेशन के लिए ग्लोबल नेविगेशन सैटेलाइट सिस्टम का उपयोग किया जाएगा, जिसमें वाहन में ऑन-बोर्ड यूनिट्स के साथ ग्लोबल पोजिशनिंग सिस्टम लगा होगा। यह FASTag और ऑटोमैटिक नंबर प्लेट रिकॉग्निशन तकनीक जैसी मौजूदा प्रणालियों से अलग होगा। एक्सपर्ट का कहना है कि एक बार यह सिस्टम पूरी तरह लागू हो जाने के बाद देशभर में टोल नाके की जरूरत नहीं रहेगी। न ही टोल प्लाजा पर लंबा जाम लगेगा। यह वाहन चालका का समय भी बचाएगा और टोल टैक्स कलेक्शन बढ़ाने का भी करेगा काम।
GPS-आधारित टोल संग्रह क्या है?
अभी तक, टोल बूथों पर टोल का भुगतान मैन्युअल या FASTag के जरिये किया जाता है, जिससे अक्सर ट्रैफ़िक जाम की स्थिति पैदा होती है। GPS-आधारित टोल प्रणाली में वाहन चालक द्वारा यात्रा की दूरी सेटेलाइट और इन-कार ट्रैकिंग सिस्टम के जरिये निकाली जाएगी। सरल शब्दों में कहे तो यह नया सिस्टम सेटेलाइट ट्रैकिंग और जीपीएस का उपयोग करके वाहन द्वारा तय की गई दूरी के अनुसार टोल वसूलेगी। इससे टोल नाके की जरूरत नहीं रहेगी, न ही टोल नाके पर रुकने की और जाम में फंसने की। इस नए सिटस्टम के लिए वाहनों में ऑन-बोर्ड यूनिट (OBU) या ट्रैकिंग डिवाइस लगाए जाएंगे। ये ऑटो कंपनियां आने वाले दिनों में लगा कर देगी।
20 किलोमीटर तक कोई शुल्क नहीं लगेगा
सरकार की ओर से दी गई जानकारी के मुताबिक, GNSS से लैस निजी वाहनों के मालिकों से राजमार्गों और एक्सप्रेसवे पर रोजाना 20 किलोमीटर तक के सफर के लिए कोई शुल्क नहीं लिया जाएगा। राष्ट्रीय राजमार्ग शुल्क संशोधन नियम, 2024 के रूप में अधिसूचित नए नियमों के तहत राजमार्गों और एक्सप्रेसवे पर 20 किलोमीटर से अधिक की दूरी तय करने पर ही वाहन मालिक से कुल दूरी पर शुल्क लिया जाएगा। अधिसूचना में कहा गया है, ‘राष्ट्रीय परमिट रखने वाले वाहनों को छोड़कर किसी अन्य वाहन का चालक, मालिक या प्रभारी व्यक्ति जो राष्ट्रीय राजमार्ग, स्थायी पुल, बाईपास या सुरंग के उसी खंड का उपयोग करता है, उससे जीएनएसएस-आधारित उपयोगकर्ता शुल्क संग्रह प्रणाली के तहत एक दिन में प्रत्येक दिशा में 20 किलोमीटर की यात्रा तक कोई शुल्क नहीं लिया जाएगा।’
सरकार ने टोल नियमों में बड़ा बदलाव किया है। इस राहत भरे बदलाव के जरिए अब जीएनएसएस से लैस निजी वाहनों को 20 किलोमीटर तक टोल टैक्स नहीं देना होगा। दरअसल, नए नियमों में कहा गया है कि वैश्विक नेविगेशन उपग्रह प्रणाली (जीएनएसएस) से लैस निजी वाहनों के मालिकों से राजमार्गों और एक्सप्रेसवे पर रोजाना 20 किलोमीटर तक के सफर के लिए कोई शुल्क नहीं लिया जाएगा।
इस संबंध में सड़क परिवहन और राजमार्ग मंत्रालय ने मंगलवार को अधिसूचना जारी की है। इसमें राष्ट्रीय राजमार्ग शुल्क (दरों और संग्रह का निर्धारण) नियम, 2008 में संशोधन किया गया है। अब इसे राष्ट्रीय राजमार्ग शुल्क (दरों और संग्रह का निर्धारण) संशोधन नियम, 2024 के नाम से जाना जाएगा। नए नियमों के मुताबिक, राष्ट्रीय राजमार्गों और एक्सप्रेस-वे पर 20 किलोमीटर तक की दूरी तय करने पर कोई शुल्क नहीं लिया जाएगा। इससे अधिक की दूरी तय करने पर वाहन मालिक से कुल दूरी पर शुल्क लिया जाएगा।
अधिसूचना में क्या?
अधिसूचना के मुताबिक, राष्ट्रीय परमिट रखने वाले वाहनों को छोड़कर अगर किसी अन्य वाहन का चालक या मालिक राष्ट्रीय राजमार्ग, स्थायी पुल, बाईपास या सुरंग के रूट का उपयोग करता है तो उससे जीएनएसएस-आधारित उपयोगकर्ता शुल्क संग्रह प्रणाली के तहत एक दिन में प्रत्येक दिशा में 20 किलोमीटर की यात्रा तक कोई शुल्क नहीं लिया जाएगा।
पायलट आधार पर लागू करने का फैसला किया था
इससे पहले मंत्रालय ने जुलाई में कहा था कि उसने फास्टैग के साथ एक अतिरिक्त सुविधा के रूप में चुनिंदा राष्ट्रीय राजमार्गों पर उपग्रह-आधारित टोल संग्रह प्रणाली को पायलट आधार पर लागू करने का फैसला किया है। जीएनएसएस-आधारित उपयोगकर्ता शुल्क संग्रह प्रणाली का एक पायलट अध्ययन कर्नाटक में एनएच-275 के बेंगलुरु-मैसूर खंड और हरियाणा में एनएच-709 के पानीपत-हिसार खंड पर किया गया है।
क्या है ग्लोबल नेविगेशन सैटेलाइट सिस्टम?
GNSS-आधारित टोल कलेक्शन सिस्टम के तहत हाईवे पर तय की गई दूरी के आधार पर टोल लिया जाता है। मौजूदा तरीके के तहत भले ही यूजर टोल रोड के एक हिस्से की यात्रा करता है, उसे एक निश्चित राशि का भुगतान करना पड़ता है। सैटेलाइट-आधारित सिस्टम वाहन की गतिविधि को ट्रैक करती है और वाहनों में लगे ऑन बोर्ड यूनिट की मदद से शुल्क की गणना करती है।
जीएनएसएस और जीपीएस में अंतर?
जीएनएसएस सैटेलाइट प्रणाली वह समूह है तो जो स्थिति और समय संबंधी संपूर्ण डेटा प्रदान करता है। वहीं, वैश्विक स्थान-निर्धारण प्रणाली (जीपीएस) जीएनएसएस के तहत आने वाले एक एक विशिष्ट प्रणाली है जो स्थान निर्धारित करने के लिए उपग्रहों का उपयोग करता है। आसान भाषा में समझें तो जीएनएसएस उपग्रहों का एक समूह है जो पृथ्वी पर मौजूद रिसीवर्स को डेटा प्रेषित करता है, वहीं जीपीएस उपग्रहों और रिसीवर्स का एक नेटवर्क हो किसी स्थान विशेष की जानकारी देता है।