Big Breaking News सुप्रीम कोर्ट का बड़ा फैसला:निजी संपत्ति पर सुप्रीम कोर्ट ने बदले नियम
‘सरकारें हर प्राइवेट प्रॉपर्टी पर कब्जा नहीं कर सकतीं’-सुप्रीम कोर्ट
निजी संपत्तियों पर सरकारी कब्जे को लेकर सुनाया ऐतिहासिक फैसला
चंडीगढ़, 5 नवंबर (विश्ववार्ता) उच्चतम न्यायालय ने 7:2 के बहुमत के फैसले में मंगलवार को कहा कि संविधान के तहत सरकारों को ‘आम भलाई’ के लिए निजी स्वामित्व वाले सभी संसाधनों को अपने कब्जे में लेने का अधिकार नहीं है। हालांकि, भारत के प्रधान न्यायाधीश डीवाई चंद्रचूड़ के नेतृत्व वाली नौ न्यायाधीशों की पीठ ने कहा कि सरकारें कुछ मामलों में निजी संपत्तियों पर दावा कर सकती हैं। प्रधान न्यायाधीश द्वारा सुनाए गए बहुमत के फैसले में न्यायमूíत कृष्णा अय्यर के पिछले फैसले को खारिज कर दिया गया जिसमें कहा गया था कि सभी निजी स्वामित्व वाले संसाधनों को संविधान के अनुच्छेद 39 (बी) के तहत वितरण के लिए सरकारों द्वारा अधिगृहीत किया जा सकता है।
यह मामला भारतीय संविधान के अनुच्छेद 39(B) से जुड़ा है, जिसमें समाज की भलाई के लिए सामुदायिक संसाधनों का समान वितरण सुनिश्चित करने की बात कही गई है। इस अनुच्छेद का इस्तेमाल करते हुए महाराष्ट्र सरकार ने अपने कानून में कुछ बदलाव किए थे, जिससे कि वह जरूरतमंदों के लिए जमीन अधिग्रहण कर सके। सुप्रीम कोर्ट ने साफ तौर पर कहा कि निजी संपत्तियों पर कब्जे के लिए इस अनुच्छेद का असीमित उपयोग नहीं किया जा सकता।
1992 में POA ने इस कानून को चुनौती देते हुए याचिका दायर की थी। POA का कहना था कि सरकार द्वारा इस कानून का दुरुपयोग किया जा रहा है। सरकार निजी संपत्तियों को मनमाने ढंग से अपने कब्जे में ले रही है। सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने MHADA कानून को अनुच्छेद 31C के तहत सुरक्षित बताने की कोशिश की, लेकिन कोर्ट ने इसे मानने से इनकार कर दिया। कोर्ट ने साफ साफ कहा कि कि सरकार हर निजी संपत्ति पर अधिकार नहीं जता सकती।