
मुख्यमंत्री की ओर से राज्य में 2000 करोड़ रुपए की लागत से ‘शिक्षा क्रांति’ की शुरुआत
राज्य में शिक्षा क्षेत्र को बड़ा बढ़ावा देने के उद्देश्य से उठाया गया ऐतिहासिक कदम
नौजवानों का भाग्य बदलने के लिए अथक मेहनत कर रही है राज्य सरकार
मनीष सिसोदिया ने पंजाब के शिक्षा क्षेत्र में व्यापक बदलाव लाने के लिए मुख्यमंत्री की प्रशंसा की
नवां शहर, 7 अप्रैल (विश्व वार्ता) राज्य में ‘शिक्षा क्रांति’ के नए युग की शुरुआत करते हुए पंजाब के मुख्यमंत्री भगवंत सिंह मान ने आज राज्य में ‘शिक्षा क्रांति’ के तहत 2000 करोड़ रुपए की लागत से शिक्षा क्षेत्र को बड़ा बढ़ावा दिया।
यहां अत्याधुनिक ‘स्कूल ऑफ एमिनेंस’ के नए ब्लॉक को जनता को समर्पित करने के बाद सभा को संबोधित करते हुए मुख्यमंत्री ने कहा कि पंजाब सरकार राज्य में स्वास्थ्य और शिक्षा व्यवस्था को मजबूत करने के लिए ठोस प्रयास कर रही है। मुख्यमंत्री ने कहा, “अब तक अपने बच्चे को सरकारी स्कूल भेजना आम आदमी की मजबूरी थी, लेकिन अब शिक्षा व्यवस्था को नया रूप देने से माता-पिता की इच्छा होगी कि उनका बच्चा सरकारी स्कूल से शिक्षा प्राप्त करे।” भगवंत सिंह मान ने कहा कि विद्यार्थियों को गुणवत्तापूर्ण शिक्षा प्रदान करने के लिए राज्य भर में ‘स्कूल ऑफ एमिनेंस’ स्थापित किए गए हैं।
मुख्यमंत्री ने कहा कि राज्य सरकार समाज के हर वर्ग, खासकर नौजवानों की भलाई के लिए प्रतिबद्ध है, जिसके लिए कोई कसर बाकी नहीं छोड़ी जाएगी। उन्होंने कहा कि राज्य सरकार विद्यार्थियों को विभिन्न प्रतियोगिताओं के लिए तैयार करने के लिए हर संभव प्रयास कर रही है। उन्होंने कहा कि अब विद्यार्थी शिक्षा के क्षेत्र में शानदार प्रदर्शन कर रहे हैं। भगवंत सिंह मान ने कहा कि उनका ध्यान राज्य के सर्वांगीण विकास और लोगों की खुशहाली सुनिश्चित करने पर है।
मुख्यमंत्री ने कहा कि पिछली सरकारों ने विद्यार्थियों को गुणवत्तापूर्ण शिक्षा देने की ओर कभी ध्यान नहीं दिया। उन्होंने कहा कि बड़े राजनीतिक नेताओं के बेटे और बेटियां पहाड़ों वाले कॉन्वेंट स्कूलों में पढ़ते थे, जिस कारण सरकारी स्कूलों की ओर उन्होंने कभी ध्यान नहीं दिया। भगवंत सिंह मान ने कहा कि पिछली सरकारों के दौरान शिक्षा के बजाय सरकारी स्कूल केवल ‘मिड-डे-मील सेंटर’ थे।
मुख्यमंत्री ने कहा कि जिन लोगों ने विद्यार्थियों को गुणवत्तापूर्ण शिक्षा से वंचित रखा और जिन्होंने पवित्र श्री गुरु ग्रंथ साहिब की बेअदबी की, उन्हें अपने पापों की सजा मिल रही है। उन्होंने कहा कि लोगों ने ऐसे नेताओं को पहले ही सत्ता से हटा दिया है और अब वे राजनीतिक गुमनामी में हैं। भगवंत सिंह मान ने कहा कि पंजाबी इन दोषियों को उनके पापों के लिए कभी माफ नहीं करेंगे और उन्हें सबक सिखाएंगे।
मुख्यमंत्री ने कहा कि राज्य सरकार शिक्षकों को विदेशों और यहां तक कि प्रतिष्ठित राष्ट्रीय संस्थानों में भेज रही है ताकि उनके शिक्षण कौशल को और निखारा जा सके। उन्होंने कहा कि अच्छी तरह से प्रशिक्षित स्टाफ ने राज्य के सरकारी स्कूलों में दाखिलों की दर बढ़ाने में मदद की है। उन्होंने कहा कि पंजाब देश भर में शिक्षा क्रांति का साक्षी बन रहा है क्योंकि राज्य सरकार ने इस पर बड़ा जोर दिया है। भगवंत सिंह मान ने कहा कि अब शिक्षक और प्रिंसिपल केवल शिक्षा पर ध्यान केंद्रित कर रहे हैं क्योंकि बाकी स्कूली कार्यों के लिए राज्य सरकार द्वारा आवश्यक स्टाफ भर्ती किया गया है।
मुख्यमंत्री ने कहा कि यह बहुत गर्व की बात है कि राज्य के नौजवानों को 54,000 से अधिक नौकरियां प्रदान की गई हैं। उन्होंने कहा कि सभी नौकरियां पूरी योग्यता के आधार पर बिना किसी भ्रष्टाचार या भाई-भतीजावाद के दी गई हैं। भगवंत सिंह मान ने कहा कि इससे नौजवान पंजाब के सामाजिक-आर्थिक विकास में सक्रिय भागीदार बन रहे हैं।
मुख्यमंत्री ने कहा कि राज्य सरकार ने नशे की बुराई के खिलाफ ‘युद्ध नशों के विरुद्ध’ शुरू किया है और नौजवानों की असीम ऊर्जा को सकारात्मक दिशा में ले जाया जा रहा है। उन्होंने कहा कि राज्य की पीढ़ियों को नशे की बुराई से बचाना बहुत जरूरी है क्योंकि पंजाब पहले ही इस बुराई के कारण मानव शक्ति का भारी नुकसान झेल चुका है। भगवंत सिंह मान ने कहा कि राज्य सरकार ने आम आदमी के सक्रिय सहयोग से यह मुहिम शुरू की है ताकि राज्य से नशे की बुराई का सफाया किया जा सके।
मुख्यमंत्री ने कहा कि राज्य सरकार यह किसी भी कीमत पर बर्दाश्त नहीं कर सकती कि नशे से पीड़ित लोगों के घर उजड़ जाएं और दूसरी ओर नशा तस्कर जिंदगी का आनंद लें। भगवंत सिंह मान ने कहा कि राज्य सरकार ने पहले ही नशे की सप्लाई लाइन तोड़ दी है और इस घृणित अपराध में शामिल बड़ी मछलियों को सलाखों के पीछे डाला गया है। उन्होंने कहा कि पहली बार राज्य सरकार द्वारा अवैध रूप से हासिल की गई नशा तस्करों की संपत्ति को नष्ट/जब्त किया जा रहा है ताकि कोई और इस काम में न पड़े।
मुख्यमंत्री ने कहा कि राज्य सरकार राज्य में ‘स्कूल मेंटरशिप प्रोग्राम’ लागू कर रही है, जिससे यह सुनिश्चित किया जा रहा है कि आई.ए.एस./आई.पी.एस. अधिकारी राज्य भर के ग्रामीण स्कूलों को गोद लें और विद्यार्थियों को जीवन में सफलता हासिल करने के लिए मार्गदर्शन करें। उन्होंने कहा कि यह पायलट प्रोजेक्ट राज्य के 80 ‘स्कूल ऑफ एमिनेंस’ में शुरू किया जाएगा और प्रत्येक अधिकारी को स्कूल पांच साल के लिए आवंटित किया जाएगा, भले ही इस दौरान संबंधित अधिकारी की तैनाती कहीं भी हो। भगवंत सिंह मान ने कहा कि यह कदम अधिकारियों के विद्यार्थियों और शिक्षकों के साथ संवाद के माध्यम से शिक्षा के माहौल को और मजबूत करेगा। साथ ही अधिकारी विद्यार्थियों को प्रतियोगी परीक्षाओं के लिए तैयार करेंगे और शिक्षकों को उनके कौशल को अपग्रेड करने के लिए प्रशिक्षण सुनिश्चित करेंगे।
मुख्यमंत्री ने कहा कि ये अधिकारी इन स्कूलों के विकास के लिए संसाधन जुटाएंगे और ‘रिसोर्स पर्सन’ के रूप में काम करेंगे। उन्होंने कहा कि ये अधिकारी बॉस के रूप में नहीं, बल्कि मार्गदर्शक के रूप में कर्तव्य निभाएंगे और यह स्वैच्छिक सेवा होगी। रुचि रखने वाले अधिकारियों को अपनी पहले से निर्धारित ड्यूटी के साथ-साथ इस कार्य को निभाना होगा। भगवंत सिंह मान ने कहा कि यह कदम राज्य में शिक्षा क्षेत्र में और क्रांति लाएगा।
मुख्यमंत्री ने कहा कि यह संतोषजनक बात है कि इन स्कूलों में बहुत ही होशियार विद्यार्थी पढ़ रहे हैं। भगवंत सिंह मान ने कहा कि पंजाब सरकार ने कुल बजट का 11 प्रतिशत, जो 18,047 करोड़ रुपए बनता है, शिक्षा क्षेत्र के लिए आवंटित करके बड़ा बढ़ावा दिया है। उन्होंने कहा कि इससे एक नया, खुशहाल और प्रगतिशील पंजाब बनाने में मदद मिलेगी। उन्होंने कहा कि उनकी सरकार ने विद्यार्थियों को गुणवत्तापूर्ण शिक्षा प्रदान करने के लिए शिक्षा क्षेत्र के विकास पर पूरा ध्यान केंद्रित किया है।
मुख्यमंत्री ने कहा कि पंजाब सरकार राज्य भर के सरकारी स्कूलों में माता-पिता-शिक्षक बैठक (पी.टी.एम.) करवा रही है। उन्होंने कहा कि राज्य भर के लाखों माता-पिता अपने बच्चों को दी जा रही पढ़ाई, माहौल, पाठ्यक्रम और अन्य चीजों के बारे में पूछताछ कर रहे हैं। भगवंत सिंह मान ने कहा कि यह शिक्षकों को स्कूलों में विद्यार्थियों की कार्यप्रणाली के बारे में समझाने का अवसर भी प्रदान करेगा।
इस दौरान दिल्ली के पूर्व उप मुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया ने कहा कि राज्य सरकार विद्यार्थियों को अपने सपने साकार करने में मदद करने के लिए दिन-रात मेहनत कर रही है। उन्होंने कहा कि राज्य में शिक्षा क्षेत्र का पूरी तरह से कायाकल्प किया जा रहा है। मनीष सिसोदिया ने कहा कि हमने यह वादा किया था कि लोगों को सांप्रदायिक आधार पर बांटने वाली राजनीति का हिस्सा नहीं बनेंगे, बल्कि गुणवत्तापूर्ण शिक्षा के माध्यम से नौजवानों को सक्षम और समृद्ध बना रहे हैं।
दिल्ली के पूर्व उपमुख्यमंत्री ने कहा कि पिछले तीन वर्षों में राज्य के 12,000 से अधिक स्कूलों की दिशा और दशा पूरी तरह बदल चुकी है। उन्होंने कहा कि तीन साल पहले सरकारी स्कूलों की तस्वीर बदहाल थी, लेकिन अब राज्य भर के सरकारी स्कूलों में 29 लाख विद्यार्थियों को उच्च स्तर की सुविधाएं दी जा रही हैं। मनीष सिसोदिया ने कहा कि इन स्कूलों में बहुत ही योग्य और प्रतिभाशाली शिक्षक हैं।
पूर्व उपमुख्यमंत्री ने कहा कि राज्य सरकार द्वारा नशे के खात्मे के लिए दो-चरणीय रणनीति लागू की जा रही है। उन्होंने कहा कि एक ओर जहां सप्लाई लाइन तोड़ने के लिए नशा तस्करों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की जा रही है, वहीं दूसरी ओर युवाओं को बेहतर शिक्षा प्रदान की जा रही है ताकि पढ़-लिख जाने से नशे की मांग ही खत्म हो जाए। मनीष सिसोदिया ने कहा कि इन प्रयासों से पंजाब जल्द ही नशा मुक्त राज्य बनकर उभरेगा।
दिल्ली के पूर्व उपमुख्यमंत्री ने कहा कि पंजाब में हर बच्चे को गुणवत्तापूर्ण शिक्षा उपलब्ध कराई जा रही है, जबकि दूसरी ओर दिल्ली में नवगठित सरकार द्वारा गरीब परिवारों के बच्चों को गुणवत्तापूर्ण शिक्षा से वंचित किया जा रहा है। उन्होंने कहा कि दिल्ली के निजी स्कूलों में फीस दोगुनी कर दी गई है, जो सीधे तौर पर आम लोगों, खासकर कमजोर वर्गों की लूट है। मनीष सिसोदिया ने कहा कि पंजाब गरीबों और कमजोर वर्गों का रक्षक बनकर उभरा है।
इस अवसर पर सांसद मालविंदर सिंह कंग, विधायक डॉ. सुखविंदर कुमार सुक्खी और नछत्तर पाल, शिक्षा सचिव अनिंदिता मित्रा और अन्य गणमान्य व्यक्ति भी उपस्थित थे।