76वीं Republic Day परेड मे पंजाब और चंडीगढ की झांकियां बिखेरगी जलवा
पंजाब की झांकी में इस बार क्या होगा खास ? झांकी में ये चार चीजें रहेंगी खास
76वीं गणतंत्र दिवस की क्या है इस बार की थीम ?
परेड में दिखेगी महाकुंभ की झलक
विभिन्न राज्यों, केंद्र शासित प्रदेशों और केंद्रीय मंत्रालयों की कुल 26 झांकियों मे दिखेगी भारतीय संस्कृति व समृद्धि
चंडीगढ़, 25 जनवरी (विश्ववार्ता) नई दिल्ली में कर्तव्य पथ पर 26 जनवरी को 76वीं गणतंत्र दिवस परेड के दौरान इस बार पंजाब की झांकी सबका ध्यान अपनी और आकृषित करेगी क्योकि दो साल के बाद दिल्ली में गणतंत्र दिवस परेड में पंजाब की झांकी नजर आएगी। झांकी सूफी संत बाबा शेख फरीद और पंजाबी संस्कृति को समर्पित है। इसमें प्राचीन पंजाब का हर रंग देखने को मिलेगा।
लोक संपर्क विभाग की ओर से तैयार की गई झांकी में पंजाब के पारंपरिक लोक वाद्य यंत्रों ढोल, तूबी के अलावा बैलों की जोड़ी भी नजर आएगी। लोक संपर्क विभाग के एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि देश को खाद्यान्न के मामले में आत्मनिर्भर बनाने में पंजाब का बड़ा योगदान है। इस प्रकार बैलों से खेती करने का दृश्य दिखाया गया है क्योंकि किसान और किसानी के लिए खेती का बहुत महत्व है।
केंद्रीय रक्षा मंत्रालय ने राज्य सरकार की झांकी परेड में शामिल करने को मंजूरी दे दी है जिसके बाद लोक संपर्क विभाग ने पूरे जोर शोर से झांकी की तैयारी कर ली है। पंजाब की झांकी अन्य राज्यों से बिल्कुल अलग होगी। बाबा शेख फरीद को पंजाबी का पहला कवि माना जाता है। इस तरह झांकी में बाबा शेख फरीद, पंजाब के संगीत और संस्कृति को प्रस्तुत किया गया है।
इस बार की गणतंत्र दिवस की परेड सशक्त और सुरक्षित भारत का संदेश देगी। इस परेड में 16 राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों के साथ-साथ 10 मंत्रालयों और विभागों की अनूठी थीम वाली झांकियां शामिल होंगी। वहीं इस बार झांकियों का थीम- ‘स्वर्णिम भारत: विरासत और विकास’ रखी गई है। रक्षा मंत्रालय ने बताया कि ये झांकियां भारत की विविध क्षमताओं का प्रदर्शन करेंगी। इस वर्ष, परेड का खास आकर्षण यह है कि तीनों सेनाओं की सशक्त और सुरक्षित भारत थीम वाली एक झांकी इस परेड में भाग लेगी।
तीनों सेनाओं की संयुक्त झांकी में दिखेगा जल-थल-आकाश का तालमेल
गौरतलब हो, इस वर्ष पहली बार सेना के तीनों अंगों, थल सेना, नौसेना और वायु सेना की एक संयुक्त झांकी प्रस्तुत की जा रही है। तीनों सेनाओं की यह संयुक्त झांकी जल-थल-आकाश में सशस्त्र बलों के बेहतर समन्वय, संयुक्तता और एकीकरण का प्रतीक है। यह झांकी एक युद्धक्षेत्र परिदृश्य को प्रदर्शित करेगी।
युद्धक्षेत्र में थल सेना का स्वदेशी मुख्य युद्धक अर्जुन टैंक, वायुसेना का तेजस एमकेआईआई लड़ाकू विमान, उन्नत हल्के हेलीकॉप्टर, नौसेना का विध्वंसक आईएनएस विशाखापत्तनम और दूर से संचालित विमान एक साथ जमीन, पानी और हवा में एक सिंक्रोनाइज ऑपरेशन का प्रदर्शन करते हुए दिखाई देंगे। यह संयुक्त झांकी युद्ध क्षेत्र में भारतीय सेनाओं के तालमेल को दर्शाती है।
इसके अतिरिक्त परेड में, मौसम विभाग भी पहली बार अपनी झांकी निकालेगा। इस संबंध में पृथ्वी विज्ञान मंत्रालय के सचिव डॉ. एम. रविचंद्रन ने कहा है कि मौसम विभाग के लिए यह गर्व की बात है कि झांकी में विभाग का पिछले 150 वर्षों का समृद्ध इतिहास और विरासत दिखाई देगा। वहीं अन्य झांकियों के अलावा, संस्कृति मंत्रालय की झांकी भारत की सांस्कृतिक विविधता और रचनात्मकता का जश्न मनाती है। यह प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के ‘विरासत भी, विकास भी’ के मंत्र से प्रेरित है।