Lifestyle: सेहत का रखिये ख्याल: डायबिटीज को जड़ से खत्म करने में रामबाण है यह पौधा
चंडीगढ़, 8 दिसंबर (विश्ववार्ता ) : गुवाहाटी के विज्ञान और प्रौद्योगिकी विभाग के एक स्वायत्त संस्थान, इंस्टीच्यूट ऑफ एडवांस्ड स्टडी इन साइंस एंड टैक्नोलॉजी (आईएएसएसटी) के शोध के अनुसार, पारंपरिक औषधीय पौधा सुबाबुल टाइप 2 मधुमेह से संबंधित इंसुलिन प्रतिरोध को मैनेज करने में मदद कर सकता है।
सुबाबुल या ल्यूकेना ल्यूकोसेफाला (लैम.) डे विट एक तेजी से बढऩे वाला फलीदार पौधा है। जो आमतौर पर उष्णकटिबंधीय और उपोष्णकटिबंधीय क्षेत्रों में पाया जाता है। पौधे की पत्तियों और अपरिपक्व बीजों को सूप या सलाद के रूप में कच्चा और पकाकर खाया जाता है। यह प्रोटीन और फाइबर का बेहतर स्नेत है।
इसे पारंपरिक रूप से मानव और पशु भोजन में इस्तेमाल किया जाता रहा है। टीम ने इंसुलिन प्रतिरोध (इंसुलिन रेजिस्टेंस) के प्रबंधन में सुबाबुल के बीज की फलियों की चिकित्सीय क्षमता की जांच की। इंसुलिन रेजिस्टेंस वह स्थिति है जिसमें शरीर की कोशिकाएं इंसुलिन के प्रति कम प्रतिक्रिया करती हैं।
इंसुलिन एक तरह का हार्मोन है जो पैंक्रियास में बनता है, जो ब् लड में शुगर को कंट्रोल करने का काम करता है। इसके बाद टीम ने जैविक गतिविधि के आधार पर एक फ्रैक्शन विकसित करते हुए चार सक्रिय यौगिकों (कंपाउंड) का चयन किया, जिसमें उन्होंने सबसे सक्रिय फ्रैक्शन का चयन किया।
जैविक रूप से सक्रिय अंश ने फ्री फैटी एसिड इंडय़ूस्ड पेशी कोशिकाओं (सी2सी12) में बढ़ी हुई इंसुलिन संवेदनशीलता दिखाई। इसके अलावा, टीम ने कहा, ‘पौधे से पृथक सक्रिय यौगिक क्वेरसेटिन-3-ग्लूकोसाइड ने माइटोकॉन्ड्रियल डीएसीटाइलेज एंजाइम सरटुइन 1 एसआईआरटी1) के अप-रेगुलेशन को दिखाया, जो जो ग्लूट2 के अपरेगुलेटेड ट्रांसलोकेशन के साथ इंसुलिन संवेदनशीलता को नियंत्रित करता है। ग्लूट2 एक प्रोटीन है जो ग्लूकोज और फ्रुक्टोज को कोशिका ङिाल्ली में ले जाने में मदद करता है।