लोकसभा में‘एक राष्ट्र एक चुनाव’ विधेयक पेश
बीजेपी सांसदों को व्हिप जारी
कांग्रेस-सपा-तृणमूल ने बोला केंद्र पर हमला
क्या है ‘एक देश एक चुनाव’ ?
चंडीगढ़, 17 दिसंबर (विश्ववार्ता) “वन नेशन, वन इलेक्शन” (एक देश, एक चुनाव) विधेयक आज लोकसभा में पेश किया गया। इस बिल के प्रस्तुत होने पर सरकार को भारी समर्थन मिला, जबकि विपक्ष ने इसका विरोध किया।आपको बता दें कि इस बिल के इंट्रोडक्शन के दौरान वोटिंग हुई, जिसमें सरकार को 269 वोट मिले, जबकि विपक्ष के विरोध में 198 वोट पड़े।
सरकार ने लोकसभा में मंगलवार को ‘एक राष्ट्र एक चुनाव’ विधेयक पेश किया और विपक्ष ने इसे संघीय ढांचे के खिलाफ बताते हुए विधेयक को वापस लेने की मांग की। कांग्रेस के मनीष तिवारी ने इस विधेयक का विरोध करते हुए कहा है कि यह हमारे लोकतंत्र और संघीय ढांचे के खिलाफ है। उन्होंने कहा कि भारत में संघवाद की व्यवस्था है और यह विधेयक पूरी तरह से संविधान की इस व्यवस्था के खिलाफ है।
इस प्रस्ताव का उद्देश्य पूरे देश में लोकसभा और विधानसभाओं के लिए एक साथ चुनाव कराना है। फिलहाल लोकसभा और विधानसभाओं के चुनाव अलग-अलग होते हैं, या तो पांच साल का कार्यकाल पूरा होने के बाद या जब सरकार किसी कारण से भंग हो जाती है। इसकी व्यवस्था भारतीय संविधान में की गई है। अलग-अलग राज्यों की विधानसभा का कार्यकाल अलग-अलग समय पर पूरा होता है, उसी के हिसाब से उस राज्य में विधानसभा चुनाव होते हैं। हालांकि, कुछ राज्य ऐसे भी हैं जहां विधानसभा और लोकसभा चुनाव एक साथ होते हैं। इनमें अरुणाचल प्रदेश, आंध्र प्रदेश, ओडिशा और सिक्किम जैसे राज्य शामिल हैं। वहीं, राजस्थान, मध्य प्रदेश, तेलंगाना, छत्तीसगढ़ और मिजोरम जैसे राज्यों के चुनाव लोकसभा चुनाव से ऐन पहले हुए तो लोकसभा चुनाव खत्म होने के छह महीने के भीतर हरियाणा, जम्मू कश्मीर, महाराष्ट्र और झारखंड में चुनाव हुए।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी लंबे समय से एक देश एक चुनाव के समर्थक रहे हैं। प्रधानमंत्री ने 2019 के स्वतंत्रता दिवस पर एक देश एक चुनाव का मुद्दा उठाया था। तब से अब तक कई मौकों पर भाजपा की ओर एक देश एक चुनाव की बात की जाती रही है।