लोकसभा में कल पेश होगा ‘वन नेशन वन इलेक्शन’ बिल
मंजूरी मिलने पर एक साथ होंगे विधानसभा और लोकसभा के चुनाव
वन नेशन-वन इलेक्शन’ का उद्देश्य क्या ?
चंडीगढ़, 15 दिसंबर (विश्ववार्ता) सोमवार को देश एक बार फिर बडा अध्याय लिखने जा रहा है केंद्रीय मंत्री अर्जुन राम मेघवाल सोमवार को लोकसभा में ‘वन नेशन वन इलेक्शन’ बिल पेश करेंगे। भारत में फिलहाल राज्यों के विधानसभा और देश के लोकसभा चुनाव अलग-अलग समय पर होते हैं. वन नेशन वन इलेक्शन का मतलब है कि पूरे देश में एक साथ ही लोकसभा और विधानसभाओं के चुनाव हों। इस बिल को अभी हाल में केंद्रीय कैबिनेट से मंजूरी मिली थी। आपको बतां दे कि कैबिनेट ने जिन दो विधेयकों को मंजूरी दी, उनमें एक संविधान संशोधन विधेयक है, जो लोकसभा और सभी राज्य विधानसभाओं के लिए एक साथ चुनाव कराने के लिए है और दूसरा विधेयक है जो केंद्र शासित प्रदेशों दिल्ली, पुडुचेरी और जम्मू-कश्मीर में विधानसभा चुनावों को एक साथ कराने के लिए है।
अगर इसे लागू किया जाता है, तो लोकसभा, विधानसभा और स्थानीय निकाय (शहरी या ग्रामीण) के चुनाव एक ही साल में होंगे। पूर्व राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद की अध्यक्षता वाली उच्च स्तरीय समिति ने 2024 के लोकसभा चुनाव की घोषणा से पहले मार्च में रिपोर्ट पेश की थी। समिति ने रिपोर्ट में कहा कि एक साथ चुनाव ‘चुनावी प्रक्रिया को बदल सकते हैं। हालांकि विपक्षी दलों ने एक साथ चुनाव कराने का विरोध किया है।
दरअसल, सरकार इस बिल को पेश करने के बाद ज्वॉइंट पार्लियामेंट्री कमिटी यानी जेपीसी को भी भेजना चाहती है. अगर जेपीसी ने क्लियरेंस दे दी और संसद के दोनों सदनों से ये बिल पास हो गया, तो इसे राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू की मंजूरी के लिए भेजा जाएगा। राष्ट्रपति के साइन करते ही ये बिल कानून बन जाएगा. अगर ऐसा हो गया तो देशभर में 2029 तक एक साथ चुनाव होंगे।
बता दें कि भाजपा 2014 में सत्ता में आने के बाद से ही एक साथ चुनाव कराने पर जोर दे रही है। नीति आयोग ने 2017 में इस प्रस्ताव का समर्थन किया और अगले साल तत्कालीन राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने संसद के संयुक्त सत्र में अपने संबोधन में इसका उल्लेख किया था। 2019 में अपने स्वतंत्रता दिवस के भाषण में प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी ने एक साथ चुनाव कराने की आवश्यकता को दोहराया।
दरअसल, एक साथ चुनाव कराना पार्टी के 2014 और 2019 के चुनावी घोषणापत्रों में शामिल रहा है। भाजपा अन्य दलों के साथ विचार-विमर्श करके विधानसभा और लोकसभा चुनाव एक साथ कराने का तरीका विकसित करने की कोशिश करेगी। इससे राजनीतिक दलों और सरकार दोनों के लिए चुनाव खर्च कम करने के अलावा राज्य सरकारों के लिए कुछ हद तक स्थिरता सुनिश्चित होगी।
वन नेशन-वन इलेक्शन’ का उद्देश्य क्या ?
दरअसल, ‘वन नेशन-वन इलेक्शन’ को कानून बनाने के पीछे यह उद्देश्य है कि, देशभर में लोकसभा और सभी राज्यों के विधानसभा चुनाव एक साथ कराये जा सकें. जिससे चुनावी प्रक्रिया में सुधार और खर्चों में कमी आने की बात कही गई है। इसके साथ ही यह कोशिश है कि, वन नेशन-वन इलेक्शन’ माध्यम से चुनावों को स्थिर और संगठित तरीके से कराने व देशभर में चुनावी गतिविधियों का प्रभावी प्रबंधन किया जा सके। सरकार का कहना है कि इससे राजनीतिक स्थिरता भी बनी रहेगी। ‘वन नेशन-वन इलेक्शन’ को सरकार का एक महत्वपूर्ण कदम माना जा रहा है।
‘वन नेशन-वन इलेक्शन’ बिल पर संसद में होगी बहस?
फिलहाल, ‘वन नेशन-वन इलेक्शन’ बिल के संसद में आने से इस पर बहस होगी। बताया जा रहा है कि, सभी सांसदों को बिल की कॉपी भेज दी गई है। ताकि वह इसे पढ़ लें और इस पर तैयारी कर लें। संसद में ‘वन नेशन-वन इलेक्शन’ बिल पेश होने और इस पर चर्चा होने के बाद इसे आगे की प्रक्रिया के लिए भेजा जाएगा। बिल जेपीसी के पास भी भेजा जा सकता है। क्योंकि संसद में ‘वन नेशन-वन इलेक्शन’ बिल पर जोरदार हंगामा देखने को मिल सकता है। ‘वन नेशन-वन इलेक्शन’ बिल पर विपक्ष की प्रतिक्रिया सकारात्मक नहीं है। विपक्ष इसके विरोध में है।
सितंबर में कैबिनेट ने समिति का प्रस्ताव मंजूर किया था
इससे पहले इसी साल सितंबर में केंद्रीय कैबिनेट ने ‘वन नेशन-वन इलेक्शन’ पर गठित उच्च स्तरीय समिति (रामनाथ कोविंद कमेटी) की सिफारिशों को मंजूर किया था। यानि पूर्व राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद की अध्यक्षता वाली समिति की सिफारिशों के आधार पर यह कदम उठाया गया है। एक देश एक चुनाव के लिए पूर्व राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद को समिति का चेयरमैन बनाया गया था। समिति ने ‘वन नेशन-वन इलेक्शन’ का मसौदा तैयार किया और प्रस्ताव कैबिनेट के सामने रखा। यह माना जा रहा था कि, केंद्र सरकार शीतकालीन सत्र में इस संबंध में बिल संसद में पेश कर सकती है.
बता दें कि, कांग्रेस ‘वन नेशन-वन इलेक्शन’ के पक्ष में नहीं है। ‘वन नेशन-वन इलेक्शन’ पर कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे ने कहा था कि, हम इसके साथ नहीं हैं। लोकतंत्र में ‘एक राष्ट्र-एक चुनाव’ काम नहीं कर सकता। खड़गे का कहना था कि, अगर हम चाहते हैं कि हमारा लोकतंत्र बचा रहे तो चुनाव जब भी जरूरत हो, कराए जाने चाहिए। वहीं कांग्रेस नेता केसी वेणुगोपाल ने कहा था कि, यह इस देश में बिल्कुल भी व्यावहारिक नहीं है। ”वन नेशन-वन इलेक्शन” से वर्तमान मुद्दों से ध्यान भटकाने की कोशिश की जा रही है।
वहीं कांग्रेस सांसद दिग्विजय सिंह का ‘वन नेशन-वन इलेक्शन’ पर कहना है कि, किसी भी राज्य में 6 महीने से ज्यादा चुनाव नहीं टाला जा सकता। यदि वन नेशन वन इलेक्शन हो रहा है और एक राज्य में सरकार 6 महीने में गिर जाती है, अविश्वास प्रस्ताव पास हो जाता है तो क्या 4.5 साल बिना सरकार के रहा जाएगा? ये इस देश में संभव ही नहीं है। पहले तो सरकारें पूरे 5 साल का कार्यकाल पूरा करती थीं लेकिन आज कोई सरकार 2.5 साल में गिर जाती हैं तो कहीं 3 साल में गिर जाती है।