West,Bengal विधानसभा में दुष्कर्म विरोधी विधेयक पेश
10 दिन में दोषियों को फांसी की सजा का प्रावधान
चंडीगढ़, 3 सिंतबर (विश्ववार्ता) कोलकाता के सरकारी आरजी कर अस्पताल एवं मेडिकल कॉलेज में महिला चिकित्सक के साथ दुष्कर्म व हत्या की घटना के बाद पश्चिम बंगाल सरकार ने बड़ा कदम उठाया है।बंगाल विधानसभा में आज दुष्कर्म विरोधी विधेयक पेश कर दिया गया है। इस विधेयक में दुष्कर्म और पीड़िता की मौत के दोषी व्यक्ति को फांसी की सजा देने का प्रावधान किया गया है। साथ ही इसमें दुष्कर्म और सामूहिक दुष्कर्म के दोषी को बिना जमानत के आजीवन कारावास की सजा का प्रावधान भी किया गया है।
जांच पूरी करने की समय सीमा को दो महीने से घटाकर 21 दिन करने का प्रस्ताव
यदि इस विधेयक को पारित किया जाता है, तो बलात्कार और हत्या के मामलों में दोषियों को उम्रकैद की सजा सुनाई जाएगी। इसका अर्थ है कि उन्हें अपना पूरा जीवन जेल में बिताना होगा महज कुछ वर्षों के बाद छोड़ा नहीं जाएगा। इसमें आर्थकि दंड के प्रावधान भी होंगे। विधेयक में बलात्कार से संबंधित जांच पूरी करने की समय सीमा को दो महीने से घटाकर 21 दिन करने का प्रस्ताव है। इसके अलावा ऐसे मामलों में आरोप पत्र तैयार होने के एक महीने के भीतर फैसला सुनाने का वादा भी किया गया है।
पीड़िता की पहचान उजागर करने वाले को होगी 5 साल की कैद
विधेयक में ऐसे मामलों में अदालती कार्यवाही से संबंधित कोई जानकारी प्रकाशित करता है या पीड़िता की पहचान उजागर करता है, तो उसे तीन से पांच साल कैद की सजा हो सकती है। हालांकि, कानूनी विशेषज्ञों का कहना है कि विधानसभा में विधेयक को पारित कर देना ही पर्याप्त नहीं होगा। इसमें इस संबंध में केंद्रीय कानूनों के कुछ प्रावधानों में संशोधन का प्रस्ताव है, इसलिए इसे राष्ट्रपति की मंजूरी की जरूरत होगी।
बंगाल सरकार के इस फैसले का विरोध हो रहा है। विपक्षी दल और कानूनी विशेषज्ञ कह रहे हैं कि ऐसे मामलों (बलात्कार और हत्या) के लिए राष्ट्रीय स्तर पर कानून में सख्त प्रावधान हैं।