सरकार ने डिजिटल व्यक्तिगत डाटा संरक्षण नियमों का मसौदा किया जारी
ऑनलाइन प्लेटफॉर्म पर बच्चे नहीं बना सकेंगे अकाउंट, चाहिए होगी माता-पिता की मंजूरी
चंडीगढ़, 5 जनवरी (विश्ववार्ता) भारत सरकार सरकार ने डिजिटल व्यक्तिगत डाटा संरक्षण नियमों का मसौदा जारी किया है। इन नए नियमों में यह स्पष्ट किया गया है कि अगर बच्चे इंटरनेट पर कोई अकाउंट बनाते हैं, तो उन्हें पहले अपने माता-पिता की अनुमति लेनी होगी। इसके अलावा माता-पिता की पहचान और उम्र की पुष्टि भी एक प्रमाणपत्र के जरिए की जाएगी, जिसे एक सरकारी एजेंसी द्वारा जारी किया जाएगा।
सरकार बच्चों के सोशल मीडिया अकाउंट खोलने के लिए माता-पिता की मंजूरी जरूरी करने जा रही है। यह नियम डेटा प्रोटेक्शन के नए ड्राफ्ट में है। इस ड्राफ्ट में कहा गया है कि बच्चों का डेटा इस्तेमाल करने से पहले कंपनियों को माता-पिता की मंजूरी लेनी होगी। यह मंजूरी डेटा इस्तेमाल करने से पहले लेनी होगी। मतलब, कंपनियां बच्चों का डेटा तब तक इस्तेमाल या स्टोर नहीं कर सकतीं जब तक माता-पिता की मंजूरी न मिल जाए। यह ड्राफ्ट डिजिटल डेटा प्रोटेक्शन एक्ट, 2023 के तहत आया है। इसमें लोगों की मंजूरी, डेटा इस्तेमाल करने वाली कंपनियों और अधिकारियों के काम करने के तरीके के बारे में बताया गया है। लेकिन इसमें नियम तोडऩे पर क्या सजा होगी, यह नहीं बताया गया है।
हालांकि, एक्ट के तहत डेटा का गलत इस्तेमाल करने वाली कंपनियों पर 250 करोड़ रुपये तक का जुर्माना लगाया जा सकता है। सरकार ने लोगों से 18 फरवरी, 2025 तक माई जीवोवी वेबसाइट पर अपने सुझाव और आपत्तियां देने को कहा है। नोटिफिकेशन में कहा गया है कि‘ज्उक्त ड्राफ्ट नियमों पर 18 फरवरी, 2025 के बाद विचार किया जाएगा।’ यानी अभी इसमें बदलाव भी हो सकते हैं। यह बच्चों की ऑनलाइन सुरक्षा के लिए एक अहम कदम है। यह ड्राफ्ट नियम बच्चों के ऑनलाइन डेटा को सुरक्षित रखने के लिए बनाए गए हैं।
आजकल बच्चे भी सोशल मीडिया पर बहुत एक्टिव हैं। उनकी जानकारी का गलत इस्तेमाल होने का खतरा रहता है। इसलिए सरकार ने यह कदम उठाया है। नए नियम के मुताबिक, अगर कोई कंपनी 18 साल से कम उम्र के बच्चे का डेटा लेना चाहती है, तो उसे पहले उसके माता-पिता से इजाजत लेनी होगी। यह इजाजत लिखित या ऑनलाइन किसी भी तरह से ली जा सकती है, लेकिन यह साफ होनी चाहिए कि माता-पिता ने मंजूरी दी है।