<h2><img class="alignnone size-medium wp-image-14103" src="https://wishavwarta.in/hindi/wp-content/uploads/2024/09/dar-300x150.jpg" alt="" width="300" height="150" /></h2> <h2>🌸🌸🙏🙏हुकमनामा श्री हरमंदिर साहिब अमृतसर 🙏🌹</h2> <h2>🙏🌹<strong> Hukamnama shri harimandir sahib ji</strong> 🙏🌹</h2> <h3><strong>सोरठि मः १ चउतुके ॥ </strong> <strong> माइ बाप को बेटा नीका ससुरै चतुरु जवाई ॥ बाल कंनिआ कौ बापु पिआरा भाई कौ अति भाई ॥ हुकमु भइआ बाहरु घरु छोडिआ खिन महि भई पराई ॥ नामु दानु इसनानु न मनमुखि तितु तनि धूड़ि धुमाई ॥१॥ मनु मानिआ नामु सखाई ॥ पाइ परउ गुर कै बलिहारै जिनि साची बूझ बुझाई ॥ रहाउ ॥ जग सिउ झूठ प्रीति मनु बेधिआ जन सिउ वादु रचाई ॥ माइआ मगनु अहिनिसि मगु जोहै नामु न लेवै मरै बिखु खाई ॥ गंधण वैणि रता हितकारी सबदै सुरति न आई ॥ रंगि न राता रसि नही बेधिआ मनमुखि पति गवाई ॥२॥ साध सभा महि सहजु न चाखिआ जिहबा रसु नही राई ॥ मनु तनु धनु अपुना करि जानिआ दर की खबरि न पाई ॥ अखी मीटि चलिआ अंधिआरा घरु दरु दिसै न भाई ॥ जम दरि बाधा ठउर न पावै अपुना कीआ कमाई ॥३॥ नदरि करे ता अखी वेखा कहणा कथनु न जाई ॥ कंनी सुणि सुणि सबदि सलाही अम्रितु रिदै वसाई ॥ निरभउ निरंकारु निरवैरु पूरन जोति समाई ॥ नानक गुर विणु भरमु न भागै सचि नामि वडिआई ॥४॥३॥</strong></h3> <h3> <strong>जो मनुष कभी माँ बाप का प्यारा बेटा था, कभी ससुर का दामाद था, कभी बेटे बेटियों के लिए प्यारा पिता था, और भाई का बहुत (स्नेही) भाई था, जब अकाल पुरख का हुकम हुआ तो उसने घर भर (सब कुछ) छोड़ दिया तो ऐसे एक पल में सब कुछ पराया हो गया। अपने मन के पीछे चलने वाले इंसान ने ना तो नाम जपा ना सेवा की और ना ही पवित्र आचरण बनाया और इस शारीर से सिर्फ़ इधर उधर के काम ही करता रहा ॥੧॥ जिस मनुष का मन गुरु के उपदेश में जुड़ जाता है वह परमात्मा के नाम को असली मित्र समझता है। में तो गुरु के चरनी लगता हु, गुरु से सदके जाता हु, जिस ने यह सची अकल दी है (की परमात्मा ही असली मित्र है ) ॥ रहाऊ ॥ मनमुख का मन जगत के साथ जूठे प्यार में जुड़ा रहता है, संत जनों के साथ वह लड़ाई करता रहता है । माया (के मोह) में मस्त वह दिन रात माया की राह देखता रहता है, परमात्मा का नाम कभी नहीं सिमरता, इस तरह (माया के मोह में ) जहर खा खा के आत्मक मोंत मर जाता है । वह गंधे गीतों (गाने सुनने ) में मस्त रहता है, गंधे गीत के साथ ही रहता है, परमात्मा की सिफत-सलाह वाली बाणी में उस का मन नहीं लगता है। ना ही परमात्मा के प्यार में रंगा जाता है,ना ही उस को नाम में खिचाव पैदा होता है । मनमुख इस तरह अपनी इज्जत गवाह लेता है ॥੨॥ </strong> <strong>🙏🙏🌸🌸🌸🌸🌸🙏🙏</strong> <strong>( Waheguru Ji Ka Khalsa, Waheguru Ji Ki Fathe )</strong> <strong>ਗੱਜ-ਵੱਜ ਕੇ ਫਤਹਿ ਬੁਲਾਓ ਜੀ !</strong> <strong>ਵਾਹਿਗੁਰੂ ਜੀ ਕਾ ਖਾਲਸਾ !!</strong> <strong>ਵਾਹਿਗੁਰੂ ਜੀ ਕੀ ਫਤਹਿ !!</strong></h3>