🙏🌹 हुकमनामा श्री हरमंदिर साहिब अमृतसर🌹
🙏🌹 Hukamnama shri harimandir sahib ji 🙏🌹
सलोक ॥
मन इछा दान करणं(ग) सरबत्र आसा पूरनह ॥ खंडणं(ग) कलि कलेसह प्रभ सिमरि नानक नह दूरणह ॥१॥ हभि रंग माणहि जिसु संगि तै सिउ लाईऐ नेहु ॥ सो सहु बिंद न विसरउ नानक जिनि सुंदरु रचिआ देहु ॥२॥ पउड़ी ॥ जीउ प्रान तनु धनु दीआ दीने रस भोग ॥ ग्रिह मंदर रथ असु दीए रचि भले संजोग ॥ सुत बनिता साजन सेवक दीए प्रभ देवन जोग ॥ हरि सिमरत तनु मनु हरिआ लहि जाहि विजोग ॥ साधसंगि हरि गुण रमहु बिनसे सभि रोग ॥३
हे नानक! जो प्रभु हमें मन-मांगी दातें देता है जो सब जगह (सब जीवों की) आशाएं पूरी करता है, जो हमारे झगड़े और कलेश नाश करने वाला है उसको याद कर, वह तुझसे दूर नहीं है।1।हे नानक! जिस प्रभु की बरकति से तू सारी मौजें मनाता है, उससे प्रीत जोड़। जिस प्रभू ने तेरा सोहणा शरीर बनाया है, रॅब करके वह तुझे कभी भी ना भूले।2।(प्रभू ने तुझे) जिंद, प्राण, शरीर और धन दिया, और स्वादिष्ट पदार्थ भोगने को दिए। तेरे अच्छे भाग्य बना के, तुझे उसने घर, सुंदर मकान, रथ, घोड़े दिए। सब कुछ देने वाले प्रभू ने तुझे पुत्र, पत्नी, मित्र और नौकर दिए।उस प्रभु को सिमर के मन खिला रहता है, सारे दुख मिट जाते हैं। (हे भाई!) सत्संग में उस हरी के गुण चेते किया करो, सारे रोग (उसको सिमरने से) नाश हो जाते हैं।3।
( Waheguru Ji Ka Khalsa, Waheguru Ji Ki Fathe )
ਗੱਜ-ਵੱਜ ਕੇ ਫਤਹਿ ਬੁਲਾਓ ਜੀ !
ਵਾਹਿਗੁਰੂ ਜੀ ਕਾ ਖਾਲਸਾ !!
ਵਾਹਿਗੁਰੂ ਜੀ ਕੀ ਫਤਹਿ !!