राग रामकली में गुरु अरजन देव जी की बाणी ‘ रती सलोक अकाल पुरख एक है और सतगुरु की किरपा से मिलता है। हे नानक। (कह- हे भाई) पारब्रहम प्रभु को नमस्कार कर के में ( उस के दर से ) संत जना के चरणे की धुल मांगता हु, और आपा-भाव दुर कर के में उस सरब-वियापक प्रभु का नाम जपता हा ।੧। प्रभु पातशाह सारे पाप काटने वाला है, सारे डर दूर करने वाला है, सुखो का समुन्दर है, गरीबो पर दया कारण वाला है, (गरीबो के) दुख नास करने वाला है। हे नानक। उस को सदा सिमरता रह ।੨। छंतु ॥ जसु गावहु वडभागीहो करि किरपा भगवंत जीउ ॥ रुती माह मूरत घड़ी गुण उचरत सोभावंत जीउ ॥ गुण रंगि राते धंनि ते जन जिनी इक मनि धिआइआ ॥ सफल जनमु भइआ तिन का जिनी सो प्रभु पाइआ ॥ पुंन दान न तुलि किरिआ हरि सरब पापा हंत जीउ ॥ बिनवंति नानक सिमरि जीवा जनम मरण रहंत जीउ ॥१॥
रामकली महला ५ रुती सलोकु ੴ सतिगुर प्रसादि ॥ करि बंदन प्रभ पारब्रहम बाछउ साधह धूरि ॥ आपु निवारि हरि हरि भजउ नानक प्रभ भरपूरि ॥१॥ किलविख काटण भै हरण सुख सागर हरि राइ ॥ दीन दइआल दुख भंजनो नानक नीत धिआइ ॥२॥ छंतु। हे अति भाग्यशालियो! परमात्मा की महिमा के गीत गाते रहा करो। हे भगवान! (मेरे पर) मेहर कर (मैं भी) तेरा यश गाता रहूँ। हे भाई! जो ऋतुएं, जो महूरत, जो घड़ियाँ परमात्मा के गुण उचारते हुए बीतें, वह समय शोभा वाले होते हैं।
हे भाई! जो लोग परमात्मा के गुणों के प्यार-रंग में रंगे रहते हैं, जिस लोगों ने एक-मन हो परमात्मा का स्मरण किया है, वे लोग भाग्यशाली हैं। हे भाई! (नाम-जपने की इनायत से) जिन्होंने परमात्मा का मिलाप हासिल कर लिया है उनका मानव जीवन कामयाब हो गया है। हे भाई! परमात्मा (का नाम) सारे पापों को नाश करने वाला है, कोई पुण्य-दान, कोई धार्मिक कर्म हरि-नाम स्मरण के बराबर नहीं है। नानक विनती करता है: हे भाई! परमात्मा का नाम स्मरण करके मैं आत्मिक जीवन प्राप्त करता हूँ। (नाम-जपने की इनायत से) जनम-मरन (के चक्कर) समाप्त हो जाते हैं।੧।