Punjab मे ठंड के प्रकोप को देखते हुए स्वास्थ्य विभाग ने जारी की एडवाइजरी
छोटे बच्चे व बुजुर्गो के लिए इन बातों का रखें खास ध्यान
चंडीगढ़, 26 दिसंबर (विश्ववार्ता) ठंड के मौसम को देखते हुए जिला स्वास्थ्य विभाग ने जिलावासियों के लिए स्वास्थ्य एडवाइजरी जारी की है। सिविल सर्जन डॉ. जसप्रीत कौर ने जिले के अंतर्गत आने वाले सभी सरकारी अस्पतालों के सीनियर मेडिकल अधिकारियों को ठंड से पीडि़त मरीजों के इलाज के लिए अस्पतालों में आवश्यक व्यवस्था करने का आदेश दिया।
उन्होंने कहा कि लंबे समय तक ठंड के संपर्क में रहने से फ्लू, नाक बहना जैसी विभिन्न बीमारियों की संभावना बढ़ जाती है, ऐसे लक्षणों के लिए डॉक्टर से संपर्क करें।
शीत लहर के दौरान जितना संभव हो घर के अंदर रहें और ठंडी हवा के संपर्क से बचने के लिए यात्र कम से कम करें। ढीले ढाले और कई परतों वाले कपड़े पहनें। टाइट कपड़े रक्त संचार को कम करते हैं।
कपड़ों की एक परत के बजाय पवनरोधी गर्म ऊनी बहु- परत वाले कपड़े पहनें। अपने आप को सूखा रखें। गीले होने पर अपने सिर, गर्दन, हाथ और पैर की उंगलियों को पर्याप्त रूप से ढकें क्योंकि सर्दियों में सबसे ज्यादा नुकसान शरीर के इन्हीं हिस्सों से होता है।
दस्ताने के स्थान पर मिटन को प्राथमिकता दें, मिटन अधिक गर्मी और इन्सुलेशन प्रदान करते हैं, क्योंकि उंगलियां अपनी गर्माहट साझा करती हैं और ठंड के संपर्क में कम सतह क्षेत्र को उजागर करती हैं, गर्मी के नुकसान को रोकने के लिए टोपी और मफलर का उपयोग करें, इंसुलेटेड/ वॉटरप्रूफ जूते पहनें। शरीर के तापमान को संतुलित बनाए रखने के लिए स्वस्थ भोजन खाएं।
पर्याप्त रोग प्रतिरोधक क्षमता बनाए रखने के लिए विटामिन सी से भरपूर फल, शहद, गुड़ और मौसमी सब्जियां खाएं। नियमित रूप से गर्म तरल पदार्थ पिएं, क्योंकि यह ठंड से लडऩे के लिए शरीर की गर्मी बरकरार रखेगा। अपनी त्वचा को नियमित रूप से तेल, पेट्रोलियम जेली या बॉडी क्रीम से मॉइस्चराइज करें, बुजुर्गों और बच्चों का ख्याल रखें।
लंबे समय तक ठंड के संपर्क में रहने से त्वचा पीली, कठोर और सुन्न हो सकती है, और शरीर के खुले हिस्सों पर काले छाले हो सकते हैं और तुरंत चिकित्सा सलाह लें। शीतदंश के लक्षणों पर ध्यान दें, जैसे उंगलियों, पैर की उंगलियों, कानों और नाक की नोक का सुन्न होना, ठंड के संपर्क में आने पर सफेद या पीला दिखना। शीतदंश वाले क्षेत्रों का उपचार गुनगुने (गर्म नहीं) पानी से करें। ठंड के झटके के गंभीर संपर्क से हाइपोथर्मिया हो सकता है।
शरीर के तापमान में गिरावट जिससे बोलने में कठिनाई, नींद आना, मांसपेशियों में अकडऩ, सांस लेने में कठिनाई हो सकती है। हाइपोथर्मिया एक आपातकालीन स्थिति है जिसके लिए तत्काल चिकित्सा की आवश्यकता होती है हाइपोथर्मिया/शीतदंश से पीडि़त किसी भी व्यक्ति के लिए यथाशीघ्र चिकित्सा सहायता लें, बहती नाक के लक्षणों के लिए चिकित्सा सलाह ले
डॉ. जसप्रीत कौर ने कहा कि ठंड के मौसम में लगातार घटते तापमान में सेहत को नजरअंदाज करना खतरनाक साबित हो सकता है। लंबे समय तक ठंड के संपर्क में रहने से आम जनता, विशेषकर बुजुर्गों और बच्चों के लिए गंभीर मेडिकल स्थितियां पैदा हो सकती हैं। इसलिए बुजुर्गों, बच्चों और हृदय रोग के मरीजों को सुबह और देर शाम अधिक ठंड और कोहरा होने पर टहलने या घर से बाहर निकलने से बचना चाहिए।
इस मौसम में छोटे बच्चों को निमोनिया होने का खतरा अधिक होता है और ठंड के कारण छोटे बच्चों को उल्टी-दस्त की समस्या भी हो सकती है। इसलिए बच्चों की देखभाल पर विशेष ध्यान देते हुए छोटे बच्चों को सर्दी से बचाने के लिए शरीर को पूरी तरह से ढकने वाले गर्म कपड़े पहनाएं। उन्होंने कहा कि शरीर के तापमान में गिरावट से बोलने में कंपन, नींद आना, मांसपेशियों में अकडऩ और सांस लेने में कठिनाई हो सकती है।
डॉ. ने कहा कि ठंड से बचाव के लिए व्यवस्था बहुत जरूरी है। उन्होंने कहा कि ठंड से बचाव के लिए गर्म कपड़े पहनने चाहिए। वह भारी कपड़ों की एक परत के बजाय हल्के कपड़ों की कई परतें पहनने का सुझाव देते हैं, क्योंकि तंग कपड़े रक्त प्रवाह को कम कर देते हैं। जिला एपिडिमोलॉजिस्ट डॉ. राकेश पाल ने कहा कि ठंड के मौसम में गर्म तरल पदार्थों का अधिक उपयोग करना चाहिए, क्योंकि इससे शरीर में शीत लहर से लडऩे के लिए गर्मी बनी रहेगी ।