गुरुपर्व के मौके दरबार साहिब में बड़ी संख्या में संगत हुई नतमस्तक
गुरु गोबिंद सिंह ने तख्त श्री दमदमा साहिब में संपूर्ण कराया था श्री गुरु ग्रंथ साहिब
जानें राेचक इतिहास
चंडीगढ़, 6 जनवरी (विश्ववार्ता) सिखों के दसवें गुरु धन धन श्री गुरु गोबिंद सिंह जी के प्रकाश पर्व के मौके पर जहां बड़ी संख्या में श्रद्धालु गुरुद्वारा पटना साहिब जाकर अपनी श्रद्धा व्यक्त कर रहे हैं। आज बड़ी संख्या में श्रद्धालु सचखंड श्री दरबार साहिब में नतमस्तक होकर अपनी श्रद्धा प्रकट कर रहे हैं।
वही अगर बात करे तख्त श्री दममदा साहिब में श्री गुरु गोबिंद सिंह का गुरुपर्व धूमधाम से मनाया जा रहा है। यह वह ऐतिहासिक जगह है जहां पर सिखों के दसवें गुरु श्री गुरु गोबिंद सिंह जी ने श्री गुरु ग्रंथ साहिब को संपूर्ण किया था। श्री गुरु गोविंद सिंह जी ने भाई मनी सिंह से श्री गुरु ग्रंथ साहिब जी के पावन स्वरूप में नौंवे गुरु तेग बहादुर की वाणी दर्ज कराई। इस ग्रंथ साहिब को दमदमा स्वरूप के नाम के तौर भी जाना जाता है।
गुरु गोबिंद सिंह आनंदपुर साहिब के चमकौर साहिब तथा मुक्तसर साहिब के ऐतिहासिक युद्ध के बाद तलवंडी साबो की धरती पर पहुंचे थे। यहां पहुंच कर गुरु गोविंद सिंह जी ने जिस स्थान पर अपना कमर कसा खोलकर दम लिया। वह जगह तख्त श्री दमदमा साहिब के नाम से प्रसिद्ध हो गई । यहां पर गुरु साहिब नौ महीने से भी ज्यादा समय तक रुके थे। उन्होंने यहां पर ही श्री गुरु ग्रंथ साहिब संपूर्ण कराया और इसको तख्त का नाम दिया गया। बाद में अन्य सरूप तैयार करने की जिम्मेदारी बाबा दीप सिंह को सौंपी गई। उनको ग्रंथ साहिब सौंप दियाग या उनके द्वारा कॉपी करके चार गुरु ग्रंथ साहिब लिखे गए।
उस समय की गुरु गोबिंद सिंह द्वारा तैयार की गई मुहर भी तख्त साहिब पर मौजूद है। अब इसको तख्त श्री दमदमा साहिब के नाम से जाना जाता है। पूरे देश में सिखों के कुल पांच तख्त हैं। तख्त श्री दमदमा साहिब चौथा तख्त है। तख्त श्री दमदमा साहिब में ऐतिहासिक वस्तुओं को भी संगत के दर्शन के लिए प्रदर्शित किया हुआ है।