श्री गुरु तेग बहादुर जी के शहीदी दिवस के मौके पर जानिये कुछ रोचक जानकारी
गुरु तेग बहादुर ने धर्म के प्रचार के लिए कई जगहों की यात्राएं की। आनंदपुर से कीरतपुर, रोपड, सैफाबाद के लोगों को संयम तथा सहज मार्ग का पाठ पढ़ाया। खिआला (खदल) में उन्होंने लोगों को सच की राह पर चलने का उपदेश दिया और वहां से दमदमा साहब होते हुए कुरुक्षेत्र पहुंचे। कुरुक्षेत्र से यमुना किनारे होते हुए कड़ामानकपुर आए और यहां पर साधु भाई मलूकदास का उद्धार किया।
श्री गुरु तेग बहादुर जी सिखों के नौवें गुरु थे। विश्व इतिहास में धर्म एवं मानवीय मूल्यों आदर्शों एवं सिद्धान्त की रक्षा के लिए प्राणों की आहुति देने वालों में गुरु तेग बहादुर साहब का स्थान अद्वितीय है। आइए जानते हैं उनके विषय में कुछ रोचक बातें।
वर्ष 1621 में अमृतसर में जन्मे गुरु तेग बहादुर जी छठे गुरु श्री हर गोबिंद जी के पांच पुत्रों में सबसे छोटे थे। उनका पालन पोषण व शिक्षा भाई गुरदास एवं बाबा बुड्ढा जी जैसे विद्वान गुरुसिखों की देखरेख में हुई। उन्होंने विभिन्न धर्म शास्त्रों का गहन अध्ययन करने के साथ-साथ शस्त्रशिक्षा में भी प्रवीणता पाई। श्री गुरु हरगोबिंद जी की ओर से लड़ी गई करतारपुर के युद्ध में गुरु तेग बहादुर ने तलवार से अभूतपूर्व शौर्य दिखाया। इसके कारण ही उनका नाम त्याग मल से तेग बहादुर रखा गया। श्री गुरु तेग बहादुर जी का बलिदान इस बात का उद्घोष था कि मानव को अपने आत्मा की आवाज एवं विश्वास के अनुसार ही जीने का अधिकार है।
धर्म ग्रहण करने और जीवन का तरीका अपनाने की छूट उसका प्राथमिक अधिकार है, जिसमें काम का चुनाव करना, खाना-पीना एवं पहनना भी शामिल है। तेग बहादुर जी के बलिदान के पीछे दूसरा संदेश यह था कि मानव को अन्याय के विरुद्ध आवाज उठानी चाहिए, चाहे वह किसी के द्वारा, किसी पर भी होता हो। उन्होंने यह प्रचार किया था कि मानव को इस संसार में निर्भय एवं बिना शत्रु के जीना चाहिए। उसे न किसी को डराना चाहिए और न ही किसी से डरना चाहिए।
जब धीर मल के लोग श्री गुरु तेग बहादुर जी के घर पर हमला करके काफी वस्तुएं लूट कर ले गए तो मक्खन शाह जवाबी हमला करके सारी वस्तुएं वापस ले आए, जिनमें गुरु ग्रंथ साहिब की बीड़ भी शामिल थी। गुरु जी ने सभी वस्तुएं वापस लेकर कहा- क्षमा करना सबसे बड़ी तपस्या है, क्षमा सबसे बड़ा दान है, क्षमा सभी तीर्थों एवं स्नान के बराबर है। क्षमादान में ही मुक्ति है। इसके समान कोई और गुण नहीं है। आपको क्षमा मांगनी चाहिए।