1981 में हुए एक नरसंहार मामले में जिला कोर्ट ने 43 साल के बाद सुनाया फैसला
फैसले में 13 दोषियों को सुनाई उम्र कैद की सजा
क्या है बीरभूम कंट्रोवर्सी से जुड़ा मामला ?
चंडीगढ़, 26 सिंतबर (विश्ववार्ता) बीरभूम के कोटा गांव नरसंहार मामले में जिला कोर्ट ने 43 साल बाद फैसला सुनाया है। इसमें बीरभूम जिला अदालत ने 13 दोषियों को उम्रकैद की सजा की घोषणा की है। दो दोषियों ने इस आदेश को चुनौती देते हुए हाई कोर्ट जाने का फैसला किया है।
यह घटना 1981 की है। बीरभूम के मारग्राम के एक ही परिवार के कुल नौ युवक अपनी दीदी के घर कोटाग्राम गए थे। इनमें से छह सगे भाई और तीन चचेरे भाई थे। एक गजल को लेकर अशांति शुरू हुई थी। अशांति मारपीट में बदल गई और गांव के लोगों ने उन नौ युवकों की पिटाई शुरू कर दी।
तो इस नरसंहार की घटना 1981 की है। बीरभूम के मरग्राम के एक ही परिवार के कुल 9 युवक जब अपनी दीदी के घर कोटा ग्राम गए थे इनमें से 6 सगे भाई और तीन चचेरे भाई थे इनके बीच एक ग़ज़ल को लेकर बहस शुरू हो गई थी और फिर धीरे-धीरे वह मारपीट में बदल गई और गांव के लोगों ने उन 9 युवकों की पिटाई शुरू कर दी। वे 9 युवक अपनी जान बचाने के लिए एक घर में छिप गए, इसके बाद ग्रामीणों ने घर में आग लगा दी आग से बचने के लिए जैसे ही वह बाहर आए उनकी पीट पीट कर हत्या कर दी गई। मृतकों के परिजनों की शिकायत पर 72 लोगों के खिलाफ आरोप पत्र पेश किया गया था जिन में से 36 की मृत्यु हो गई है अंत में 13 लोगों को दोषी पाया गया है।