Chandigarh में हरियाणा विधानसभा बनाने के फैसले का आम आदमी पार्टी ने किया विरोध
1966 में वादा किया गया था कि कुछ समय बाद चंडीगढ़ पंजाब को सौंप दिया जाएगा – अनमोल गगन मान
चंडीगढ़, 13 नवंबर (विश्ववार्ता ) चंडीगढ़ में हरियाणा का विधानसभा परिसर बनाने के फैसले का आम आदमी पार्टी (आप) ने कड़ा विरोध किया है। पार्टी ने सवाल किया कि अगर हरियाणा सरकार इसके बदले चंडीगढ़ प्रशासन को पंचकूला में 12 एकड़ जमीन देगी तो विधानसभा पंचकूला में ही क्यों नहीं बनाया गया?
बुधवार को एक प्रेस कांफ्रेंस कर आप विधायक और पूर्व मंत्री अनमोल गगन मान ने कहा कि 1966 में जब हरियाणा को पंजाब से काटकर अलग राज्य बनाया गया था उस समय वादा किया गया था कि कुछ वक्त बाद चंडीगढ़ पंजाब को सौंप दिया जाएगा। जब तक हरियाणा अपनी अलग राजधानी नहीं बना लेता तब तक चंडीगढ़ केंद्र शासित प्रदेश रहेगा। लेकिन आज 58 साल हो गए चंडीगढ़ पंजाब को नहीं सौंपा गया।
उन्होंने कहा कि चंडीगढ़ सिर्फ पंजाब का ही है। इस पर पूरी तरह पंजाब का अधिकार है क्योंकि इसे पंजाब के 22 गांवों को उजाड़कर बनाया गया था। यहां हरियाणा का विधानसभा बनाने का फैसला बिल्कुल गलत है। हम इसे बर्दाश्त नहीं करेंगे। यह फैसला पूरी तरह पंजाब विरोधी है।
अनमोल गगन ने आंध्रप्रदेश और तेलंगाना का उदाहरण दिया और कहा कि 2014 में जब आंध्र से काटकर तेलंगाना को बनाया गया उसी वक्त यह तय कर दिया गया कि हैदराबाद तेलंगाना की राजधानी होगी। फिर आंध्रप्रदेश अमरावती में अपनी नई राजधानी स्थापित करने का फैसला किया। इस साल के बजट में मोदी सरकार ने आंध्रप्रदेश की नई राजधानी के लिए 15 हजार करोड़ रुपए देने की घोषणा की थी और अगले कुछ सालों में कुल 50 हजार करोड़ देने का वादा किया है।
अनमोल ने कहा कि जब आंध्र प्रदेश और तेलंगाना पर तुरंत फैसला हो सकता है, उसे आर्थिक मदद मिल सकती है फिर पंजाब के साथ ऐसा भेदभाव क्यों किया जा रहा है? उन्होंने कहा कि हरियाणा का विधानसभा चंडीगढ़ में इसलिए बनाया जा रहा है ताकि चंडीगढ़ पर उसका पक्के तौर पर अधिकार कायम हो जाए। यह पंजाब के खिलाफ एक बड़ी साज़िश है। हम इसके खिलाफ हर मोर्चे पर लड़ाई लड़ेंगे।
आप नेता ने भारतीय जनता पार्टी और कांग्रेस पर इस मामले को जानबूझकर वर्षों लटकाने का आरोप लगाया और कहा कि पिछले 58 सालों के दौरान कई बार ऐसा हुआ कि भाजपा और कांग्रेस की केंद्र पंजाब और हरियाणा तीनों जगहों पर सरकार रही। भाजपा 2014 से 2017 तक तीनों जगह सत्ता में थी, पंजाब में वह अकाली दल के साथ गठबंधन सरकार का हिस्सा थी, लेकिन उसने कुछ नहीं किया, उल्टा पंजाब के साथ धक्का किया। इसी तरह का हाल कांग्रेस का था। उसने भी जानबूझकर इस मामले को लटकाए रखा। इन दोनों पार्टियों को जवाब देना चाहिए।