भाई -बहन के प्यार का प्रतीक भैयादूज आज
भारत में कई जगह अलग-अलग नामों के साथ मनाई जाती है भैया दूज
चंडीगढ़, 3 नवंबर (विश्ववार्ता) आज देशभर मे भाई-बहन के प्यार का प्रतीक भैया दूज का त्यौहार बडी धूमधाम से मनाया जा रहा है। कार्तिक माह के शुक्ल पक्ष की द्वितीया तिथि पर भाई दूज का त्योहार मनाया जाता है। इस साल 3 नवंबर 2024 को भाई दूज का पर्व मनाया जा रहा है। इस दिन को भाई-बहन के स्नेह और प्रेम का प्रतीक माना जाता है। इस दिन सभी बहनें भाई को रोली और अक्षत का टीका करते हुए, उसकी लंबी उम्र और तरक्की की कामना करती हैं।
हिन्दू समाज में भाई-बहन के पवित्र रिश्तों का प्रतीक पर्व है यह भैया दूज पर्व। दीपावली पांच पर्वांे का संगम है, उसी से जुड़ा है यह पर्व। एक ऐसा पर्व जो घर-घर मानवीय रिश्तों में नवीन ऊर्जा का संचार करता है। बहनों में उमंग और उत्साह को संचरित करता है, वे अपने प्यारे भाइयों के टीका लगाने को आतुर होती हैं। बेहद शालीन और सात्विक यह पर्व सदियों पुराना है। इस पर्व से भाई-बहन ही नहीं, बल्कि संपूर्ण मानवीय संवेदनाओं का गहरा नाता रहा है। भाई और बहन के रिश्ते को यह फौलाद-सी मजबूती देने वाला है। आदर्शों की ऊंची मीनार है। सांस्कृतिक परंपराओं की अद्वितीय कड़ी है। रीति-रिवाजों का अति सम्मान है। भाई-बहन के पवित्र रिश्ते को फिर स्थापित करने, एक श्रेष्ठ और मूल्यनिष्ठ समाज एवं परिवार की स्थापना करने, पूरे विश्व को एकता, सौहार्द एवं प्रेम के सूत्र में बांधने तथा सभी मनुष्यों को पवित्रता के संकल्प में बंधकर हर एक को इसकी पहल करने का अलौकिक संदेश देता है भैया दूज का पर्व।
भैया दूज भारत में कई जगह अलग-अलग नामों के साथ मनाई जाती है। बिहार में भिन्न रूप में मनाया जाता है, जहां बहनें भाईयों को खूब कोसती हैं फिर अपनी जबान पर कांटा चुभाती हैं और क्षमा मांगती हैं। भाई अपनी बहन को आशीष देते हैं और उनके मंगल के लिए प्रार्थना करते हैं। गुजरात में यह भाई बीज के रूप में तिलक और आरती की पारंपरिक रस्म के साथ मनाया जाता है।