Bhagat Singh Jayanti “शहीद भगत सिंह की जंयती आज देशभर मे मनाई जा रही है धूमधाम से
पढिये ऐसे विचार जो बदल देगें जिंदगी जीने का नजरीया
चंडीगढ़, 28 सिंतबर (विश्ववार्ता) भारतीय स्वतंत्रता आंदोलन के सबसे महान क्रांतिकारी शहीद भगत सिंह की जंयती आज देशभर मे धूमधाम से मनाई जा रही है भारतीय स्वतंत्रता आंदोलन के सबसे महान क्रांतिकारी शहीद भगत सिंह की 28 सितंबर को 116वीं जयंती है। उनका जन्म बंगा, पंजाब (अब पाकिस्तान) में 28 सितंबर 1907 को हुआ था। वह अंग्रेजों की गुलामी से भारत को आजाद कराना चाहते थे। उन्होंने अंग्रजों के खिलाफ स्वतंत्रता के लिए लड़ाई लड़ी। उनको कम उम्र में ही 23 मार्च 1931 को लाहौर जेल में मौत की सजा दे दी गई। वह बहुत कम उम्र में देश के लिए शहादत दे दी। भगत सिंह के प्रेरक नारे जैसे ‘इंकलाब जिंदाबाद’ ने देशभक्ति की भावना को जगाते हैं।
भगत सिंह ने अपने बलिदान से भारत के स्वतंत्रता आंदोलन को नई ऊंचाइयों तक ले जाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। उनके विचारों और बलिदानों को सदैव याद रखा जाना चाहिए। उन्होंने अपने ओजस्वी विचारों से स्वतंत्रता क्रांति को गति दी।
उनके भाषणों और विचारों ने भारतीयों के खून को गर्म कर दिया और स्वतंत्रता के लिए उठाई गई आवाज को मजबूत किया। भगत सिंह का पूरा जीवन प्रेरणा का स्रोत है लेकिन शहीद भगत सिंह के जन्मदिन पर उनके क्रांतिकारी विचारों को पढ़ने से जीवन में उत्साह और ऊर्जा आ सकती है।
#जिंदगी तो अपने दम पर जी जाती है, दूसरों के कंधों पर जनाजे होते हैं।
#राख का हर कण मेरी गर्मी से गतिमान है. मैं इतना पागल हूं कि जेल में भी आजाद हूं.
#मुझे जेल में डाल दो, लेकिन मेरे मन को कैद नहीं किया जा सकता.
# आपका जीवन तभी सफल हो सकता है जब आपके पास निश्चित लक्ष्य हों और आप उनके प्रति पूरी तरह समर्पित हों।
# कानून की पवित्रता तभी तक कायम रह सकती है जब तक वह लोगों की इच्छा व्यक्त करता है।
प्रेमी, पागल और कवि एक ही चीज से बने होते हैं।
आलोचना और स्वतंत्र सोच एक क्रांतिकारी के दो अनिवार्य गुण हैं।
मैं एक मानव हूं और जो कुछ भी मानवता को प्रभावित करता है उससे मुझे मतलब है।
सरफरोशी की तमन्ना अब हमारे दिल में है, देखना है जोर कितना बाजु-ए-कातिल में है।
इस कदर वाकिफ है मेरी कलम मेरे जज़्बातों से, अगर मैं इश्क़ लिखना भी चाहूँ तो इंकलाब लिखा जाता है।
जिंदगी तो अपने दम पर ही जी जाती है, दुसरों के कंधे पर तो सिर्फ जनाजे उठाए जाते हैं।
मेरे जीवन का केवल एक ही लक्ष्य है और वो है देश की आज़ादी. इसके अलावा कोई और लक्ष्य मुझे लुभा नहीं सकता –
जिन्दा रहने की हसरत मेरी भी है, पर मैं कैद रहकर अपना जीवन नहीं बिताना चाहता।
मरकर भी मेरे दिल से वतन की उल्फत नहीं निकलेगी, मेरी मिट्टी से भी वतन की ही खुशबू आएगी।
राख का हर एक कण मेरी गर्मी से गतिमान है। मैं एक ऐसा पागल हूं जो जेल में भी आजाद है।
वे मुझे मार सकते हैं, लेकिन वे मेरे विचारों को नहीं मार सकते। वे मेरे शरीर को कुचल सकते हैं, लेकिन वे मेरी आत्मा को कुचलने में सक्षम नहीं होंगे।