🙏🌹 AMRIT VELE DA HUKAMNAMA SRI DARBAR SAHIB, SRI AMRITSAR, 21-MAR-2025🙏🌹
जैतसरी महला ५ घरु ३ दुपदे ੴ सतिगुर प्रसादि ॥ देहु संदेसरो कहीअउ प्रिअ कहीअउ ॥ बिसमु भई मै बहु बिधि सुनते कहहु सुहागनि सहीअउ ॥१॥ रहाउ ॥ को कहतो सभ बाहरि बाहरि को कहतो सभ महीअउ ॥ बरनु न दीसै चिहनु न लखीऐ सुहागनि साति बुझहीअउ ॥१॥ सरब निवासी घटि घटि वासी लेपु नही अलपहीअउ ॥ नानकु कहत सुनहु रे लोगा संत रसन को बसहीअउ ॥२॥१॥२॥
Today Hukamnama अर्थ : राग जैतसरी, घर ३ में गुरु अर्जनदेव जी की दो बन्दों वाली बाणी। अकाल पुरख एक है और सतगुरु की कृपा द्वारा मिलता है। हे सुहागवती सखियो! (हे गुर-सिखों!) मुझे प्यारे प्रभु की मीठी खबर दो । मैं (उस प्यारे के बारे में) कई प्रकार (की बातें) सुन सुन के हैरान हो रही हूँ। १। रहाउ। कोई कहता है, वह सब से बाहर बस्ता है, कोई कहता है, वह सब के अन्दर बस्ता है। उस का रंग बही दीखता, उस का कोई लक्षण नजर नहीं आता। हे सुहागनों! तुम मुझे सच्ची बात समझाओ।१। गुरु नानक जी कहते हैं=हे लोगो! सुनो। वः परमात्मा सब मैं निवास रखने वाला है, हेरेक सरीर में बसने वाला है (फिर बाई, उस को माया का) जरा भी लेप नहीं है। वेह प्रभु संत जनो की जीभ (जिव्हा) पर बस्ता है (संत जन सर समय उसी का नाम जपते हैं।२।१।२।