Hukamnama Shri Harmandir Sahib Ji अर्थ : हे भाई! गुरु की सरन आये बिना मनुख को बहुत दुःख चिपका रहता है, मनुख सदा ही भटकता फिरता है। हे प्रभु! हम (जीव, तेरे दर के) भिखारी हैं, तूँ हमेशां ही दातें देने वाला है, (कृपा कर, गुरु के) शब्द में जोड़ कर आत्मिक जीवन की समझ बक्श॥१॥ प्यारे प्रभु जी! (मेरे ऊपर) कृपा कर, तेरे नाम की दात देने वाला प्रभु मुझसे मिला दे, और (मेरी जिन्दगी का) सहारा अपना नाम मुझे दे दे॥रहाउ॥हे भाई! गुरू की शरण पड़े बिना मनुष्य को बहुत सारे दुख चिपके रहते हैं, मनुष्य सदा ही भटकता फिरता है। हे प्रभू! हम (जीव, तेरे दर के) भिखारी हैं, तू सदा ही (हमें) दातें देने वाला है, (मेहर कर, गुरू के) शबद में जोड़ के आत्मिक जीवन की समझ दे।1। (हे भाई! गुरू की शरण पड़ कर जिस मनुष्य ने) बेअंत प्रभू का नाम हासिल कर लिया (नाम की बरकति से) वासना खत्म करके उसकी मानसिक डाँवा डोल हालत आत्मिक अडोलता में लीन हो जाती है। हे भाई! परमात्मा का नाम सारे पाप काटने के समर्थ है (जो मनुष्य नाम प्राप्त कर लेता है) हरी-नाम का स्वाद चख के उसका मन पवित्र हो जाता है।2। हे भाई! गुरू के शबद में जुड़ के (विकारों से) अछोह हो जाओ, फिर सदा के लिए ही आत्मिक जीवन जीते रहोगे, फिर कभी आत्मिक मौत नजदीक नहीं फटकेगी। जो भी मनुष्य गुरू के शबद के द्वारा हरी-नाम प्राप्त कर लेता है उसको ये आत्मिक जीवन देने वाला नाम सदा के लिए मन में मीठा लगने लगता है।3।
हे भाई! दातार ने (नाम की ये) दाति अपने हाथ में रखी हुई है, जिसे चाहता है उसे दे देता है। गुरू नानक जी स्वयं को कहते हैं, हे नानक! जो मनुष्य प्रभू के नाम-रंग में रंगे जाते हैं, वह (यहाँ) सुख पाते हैं, परमात्मा की हजूरी में भी वही मनुष्य आदर मान पाते हैं।4।11।