🙏🌹 AMRIT VELE DA HUKAMNAMA SRI DARBAR SAHIB, SRI AMRITSAR, 13-MAR-2025🙏🌹
: सोरठि महला ३ ॥ हरि जीउ तुधु नो सदा सालाही पिआरे जिचरु घट अंतरि है सासा ॥ इकु पलु खिनु विसरहि तू सुआमी जाणउ बरस पचासा ॥ हम मूड़ मुगध सदा से भाई गुर कै सबदि प्रगासा ॥१॥ हरि जीउ तुम आपे देहु बुझाई ॥ हरि जीउ तुधु विटहु वारिआ सद ही तेरे नाम विटहु बलि जाई ॥ रहाउ ॥
अर्थ : हे प्यारे प्रभु जी! (कृपा करो) जितना समय मेरे सरीर में प्राण हैं, मैं सदा तुम्हारी सिफत-सलाह करता रहूँ। हे मालिक-प्रभु! जब तूँ मुझे एक पल-भर एक-क्षण बिसरता है, मुझे लगता हैं पचास बरस बीत गए हैं। हे भाई! हम सदा से मुर्ख अनजान चले आ रहे थे, गुरु के शब्द की बरकत से (हमारे अंदर आत्मिक जीवन का) प्रकाश हुआ है।१। हे प्रभु जी! तू सवयं ही (अपना नाम जपने की मुझे समझ बक्श। हे प्रभु! में तुम से सदा सदके जाऊं, मैं तेरे नाम से कुर्बान जाऊं।रहाउ।