बदल रहे इस मौसम मे अपनेे लाडले का रखे खास ख्याल
तेजी से फैल रहा इन्फैक्शन वाला वायरल बुखार
चंडीगढ, 29 जुलाई (विश्ववार्ता): इस मानसून मे लगातार बदल रहे मौसम मे इन्फैक्शन वायरल बुखार बहुत तेजी से आपके लाडले को चपेट मे लेने की फिराक मे रहता है इसलिए सतर्कता द्वारा इस बात का खास ध्यान रखे। मौसम में लगातार हो रहे बदलाव के कारण वायरल बुखार का प्रकोप तेजी से फैल रहा है। बच्चे, बुजुर्ग और युवा बड़ी संख्या में इसका शिकार हो रहे हैं। सरकारी मेडिकल कॉलेज के जच्चा-बच्चा विभाग के विभिन्न वार्ड इस वायरल बुखार के शिकार बच्चों से भरे हुए हैं, जबकि सरकारी अस्पतालों में भी यही स्थिति है, जबकि निजी डॉक्टरों के ओ.पी.डी. फुल गई है। वायरल बुखार इतना घातक है कि इसका इलाज न किया जाए तो यह जानलेवा भी हो सकता है, यह तेजी से एक व्यक्ति से दूसरे व्यक्ति में फैल रहा है।
पंजाब के कई जिलो मे वायरल बुखार तेजी से फैल रहा है। हर वर्ग के लोग बड़ी संख्या में इसकी चपेट में आ रहे हैं। इसका सबसे ज्यादा शिकार बच्चे होते हैं। सरकारी मेडिकल कॉलेज के शिशु विभाग की ओपीडी में प्रतिदिन बच्चों में बुखार के 100 से अधिक मामले सामने आ रहे हैं, वहीं सरकारी अस्पतालों की ओपीडी में भी यही स्थिति देखने को मिल रही है। मेडिकल कॉलेज के जच्चा-बच्चा विभाग में बुखार से पीडि़त कई दर्जन बच्चों का इलाज चल रहा है। अक्सर लोग सामान्य बुखार और वायरल बुखार के बीच भ्रमित हो जाते हैं। मौसम में बदलाव के कारण वायरल संक्रमण का खतरा बढ़ जाता है। रोगी को तेज बुखार हो सकता है। इसमें मरीज के शरीर का तापमान काफी बढ़ सकता है। एक सर्वे के मुताबिक बुखार में मरीज को नाक बहना, खांसी, जी मिचलाना, थकान और बदन दर्द जैसे लक्षण हो सकते हैं। यह एक व्यक्ति से दूसरे व्यक्ति में तेजी से फैलता है। इसके लिए तत्काल उपचार की आवश्यकता होती है। समझें कि वायरल बुखार आम बुखार से कितना अलग और खतरनाक है और इससे राहत पाने के लिए आपको क्या उपाय करने चाहिए।
शरीर का तापमान बढऩे के कारण होता है बुखार
इंडियन मेडिकल एसोसिएशन टी.बी. नियंत्रण कार्यक्रम अधिकारी डॉ. नरेश चावला के अनुसार बुखार शरीर का तापमान बढऩे से होता है। यदि शरीर का तापमान 37.5 डिग्री सेल्सियस से अधिक हो जाए तो इसे बुखार माना जाता है। बुखार आमतौर पर तब होता है जब आपका शरीर सर्दी या फ्लू के वायरस, बैक्टीरिया, गले में खराश या सूजन के साथ प्रतिक्रिया करता है।
इसके अलावा, बाहरी पर्यावरणीय कारक, जैसे सूरज की रोशनी, ठंड, दवाएं या रसायन भी बुखार का कारण बन सकते हैं। डॉ. चावला ने कहा कि वायरल बुखार के लक्षणों को देखकर इसका निदान करना मुश्किल है। तभी आपसे कुछ रक्त परीक्षण के लिए कहा जा सकता है। डॉक्टर किसी व्यक्ति को वायरस की पहचान करने के लिए रक्त, लार और मूत्र परीक्षण कराने की सलाह दे सकते हैं, जो डेंगू, मलेरिया, चिकनगुनिया, टाइफाइड आदि का निदान करने में मदद कर सकता है।