बंगलादेश में आरक्षण विरोधी आंदोलन में अब तक 147 से ज्यादा लोगो की मौत
कहां से शुरु हुआ और कैसे बढ़ा विवाद ?
चंडीगढ, 29 जुलाई (विश्ववार्ता) बंगलादेश के गृह मंत्री असदुज्जमान खान ने कहा कि हाल के आरक्षण विरोधी आंदोलन के दौरान झड़पों में पुलिस कर्मियों सहित लगभग 147 लोग मारे गए हैं। सचिवालय में पत्रकारों से बातचीत में मंत्री ने यह जानकारी साझा की: बंगलादेश के गृह मंत्री असदुज्जमान खान ने कहा कि हाल के आरक्षण विरोधी आंदोलन के दौरान झड़पों में पुलिस कर्मियों सहित लगभग 147 लोग मारे गए हैं।
बांग्लादेश आरक्षण के विरोध की आग में झुलस रहा है. सरकारी नौकरियों में आरक्षण के खिलाफ छात्रों के विरोध प्रदर्शन में 140 से अधिक लोगों की मौत हो चुकी है।
सारा विवाद पिछले महीने आए बांग्लादेश हाईकोर्ट के एक आदेश से शुरू हुआ था, जिसमें वर्ष 2018 के प्रधानमंत्री शेख हसीना के कोटा प्रणाली खत्म करने के फैसले को पलटकर फिर से आरक्षण लागू कर दिया गया था. जिसके बाद विरोध प्रदर्शनों का दौर शुरू हो गया था।
बता दें कि वर्तमान आरक्षण प्रणाली विशेष समूहों के लिए 56% तक नौकरियां आरक्षित करती है, जिसमें 30 फीसदी आरक्षण 1971 के मुक्ति संग्राम के सेनानियों के वंशजों के लिए है, जबकि 26 फीसदी महिलाओं, अविकसित जिलों के लोगों, स्वदेशी समुदायों और विकलांगों के लिए है. इस प्रकार 44 फीसदी नौकरियां ही सामान्य आवेदकों के लिए खुली हैं।
वर्तमान आंदोलन की पटकथा 2018 से शुरू होती है. 8 मार्च 2018 को बांग्लादेश हाईकोर्ट ने देश में 1970 के दशक की शुरुआत से चली आ रही कोटा प्रणाली की वैधता को चुनौती देने वाली याचिका को खारिज कर दिया था. उसी दौरान, प्रधानमंत्री शेख हसीना ने मुक्ति संग्राम के सेनानियों के वंशजों को आरक्षण देना जारी रखने का ऐलान किया, जिसके खिलाफ छात्र आंदोलन पर उतर आए. तब शेख हसीना ने एक कार्यकारी आदेश के माध्यम से बांग्लादेश की सरकारी सेवाओं में सभी कोटा रद्द करने का फैसला लिया.