भारतीय वयस्को को लेकर विश्व स्वास्थ्य संगठन की रिपोर्ट मे बडा खुलासा
भारत के करीब 50 प्रतिशत वयस्क 2022 में शारीरिक रूप से पर्याप्त सक्रिय नहीं थे
चंडीगढ़, 14 जुलाई (विश्ववार्ता) विश्व स्वास्थ्य संगठन सहित शोधकर्ताओं की एक अंतरराष्ट्रीय टीम ने कहा कि वयस्कों के अपर्याप्त शारीरिक रूप से सक्रिय होने के मामले में भी दक्षिण एशियाई क्षेत्र उच्च आय वाले एशिया प्रशांत क्षेत्र के बाद दूसरे स्थान पर है।लेखकों ने पाया कि विश्व स्तर पर लगभग एक तिहाई वयस्क 31.3 प्रतिशत अपर्याप्त रूप से शारीरिक रूप से सक्रिय थे जिसे प्रति सप्ताह कम से कम 150 मिनट की मध्यम-तीव्रता वाली शारीरिक गतिविधि या प्रति सप्ताह 75 मिनट की तीव्र-तीव्रता वाली शारीरिक गतिविधि न करने के रूप में परिभाषित किया गया है।
भारत के करीब 50 प्रतिशत वयस्क 2022 में शारीरिक रूप से पर्याप्त सक्रिय नहीं थे। यह खुलसा ‘द लांसेट ग्लोबल हैल्थ’ जर्नल में प्रकाशित एक शोधपत्र में हुआ है। अध्ययन के मुताबिक, दक्षिण एशिया की परिपाटी के अनुसार भारत की 57 प्रतिशत महिलाएं शारीरिक रूप से पर्याप्त सक्रिय नहीं थीं, जबकि पुरुषों में यह दर 42 प्रतिशत थी। अपर्याप्त शारीरिक गतिविधि के मामले में क्षेत्र की महिलाओं की संख्या पुरुषों के मुकाबले औसतन 14 प्रतिशत अधिक है।
डब्ल्यू.एच.ओ. सहित अंतर्राष्ट्रीय अनुसंधानकर्ताओं की टीम के अध्ययन के मुताबिक वयस्कों के शारीरिक रूप से पर्याप्त रूप से सक्रिय नहीं रहने के मामले में दक्षिण एशिया क्षेत्र का स्थान दूसरा है, जबकि उच्च आय वाले एशिया प्रशांत क्षेत्र में यह दर सबसे अधिक है। अनुसंधानकर्ताओं ने पाया कि वैश्विक स्तर पर लगभग एक तिहाई वयस्क (31.3 प्रतिशत) शारीरिक रूप से पर्याप्त सक्रिय नहीं थे। उन्होंने पर्याप्त सक्रियता को सप्ताह में कम से कम 150 मिनट की मध्यम-तीव्रता वाली शारीरिक सक्रियता या प्रति सप्ताह 75 मिनट की तीव्र-तीव्रता वाली शारीरिक सक्रियता के रूप में परिभाषित किया है।
शोधकर्ताओं के मुताबिक, 2010 में शारीरिक रूप से पर्याप्त सक्रिय नहीं रहने वाले वयस्कों की संख्या 26.4 प्रतिशत थी, जिसमें 2022 में पांच प्रतिशत की वृद्धि हुई है। उन्होंने कहा कि अगर इस अवधि की तरह ही आगे भी रुझान रहा तो शारीरिक सक्रियता में 15 प्रतिशत के सुधार के तय लक्षय़ को प्राप्त नहीं किया जा सकता। अनुसंधानकर्ताओं ने पाया कि 2000 में करीब 22 प्रतिशत वयस्क पर्याप्त रूप से शारीरिक गतिविधि में संलिप्त नहीं थे, जबकि 2010 में यह दर बढक़र 34 प्रतिशत हो गई।
अनुसंधानकर्ताओं ने अनुमान लगाया कि अगर यह परिपाटी जारी रही तो 2030 तक भारत में अपर्याप्त शारीरिक सक्रियता वाले वयस्कों की संख्या बढक़र 60 प्रतिशत तक पहुंच जाएगी। शोधकर्ताओं ने अध्ययन के दौरान जनसंख्या-आधारित सव्रेक्षणों में वयस्कों (कम से कम 18 वर्ष की आयु) द्वारा बताई गई शारीरिक सक्रियता के आंकड़ों का वेिषण किया, ताकि 2000 से 2022 तक 197 देशों और क्षेत्रों में अपर्याप्त शारीरिक गतिविधि करने वाले वयस्कों की संख्या का अनुमान लगाया जा सके।
शोध दल ने यह भी पाया कि वैश्विक स्तर पर 60 वर्ष या उससे अधिक आयु के पुरुष और महिलाएं दोनों में अपर्याप्त शारीरिक सक्रियता की दर बढ़ रही है। डब्ल्यूएचओ के मुताबिक, अपर्याप्त शारीरिक सक्रियता से गैर-संचारी रोगों, जैसे मधुमेह और हृदयरोग, का खतरा बढ़ जाता है।
भारतीय चिकित्सा अनुसंधान परिषद-भारत मधुमेह (आईसीएमआर-इंडियाबी) द्वारा 2023 में किए गए एक अनुसंधान पत्र को ‘द लांसेंट डायबिटीज एंड इंडोक्राइनोलॉजी’ जर्नल में प्रकाशित किया गया था। इसके मुताबिक 2021 में भारत में 10.1 करोड़ लोग मधुमेह से पीडि़त थे, जबकि इसी साल उच्च रक्तचाप के शिकार लोगों की संख्या 31.5 करोड़ थी। इस अध्ययन के मुताबिक, 25.4 करोड़ लोग मोटापे के शिकार थे, जबकि 18.5 करोड़ लोगों उच्च कोलेस्ट्रोल से जूझ रहे थे।