रात की शिफ्ट में काम करने से मधुमेह और मोटापे का खतरा क्यों
चंडीगढ़, 28 जून (विश्ववार्ता)थोड़े समय के लिए भी रात्रि पाली में काम करने से आपके स्वास्थ्य पर नकारात्मक प्रभाव पड़ सकता है और वैज्ञानिक इसका कारण जानने के लिए शोध कर रहे हैं।
वाशिंगटन स्टेट यूनिवर्सिटी और पैसिफ़िक नॉर्थवेस्ट नेशनल लेबोरेटरी के वैज्ञानिकों ने स्वयंसेवकों को तीन दिनों के लिए रात या दिन की शिफ्ट में रखा और फिर उन्हें लगातार रोशनी, तापमान, मुद्रा और भोजन के सेवन के तहत 24 घंटे तक जगाए रखा। उन्होंने पाया कि रात की शिफ्ट में कुछ ही दिन काम करने से ग्लूकोज, ऊर्जा चयापचय और सूजन का प्रोटीन विनियमन बिगड़ जाता है, जिससे मधुमेह और मोटापे जैसी पुरानी चयापचय संबंधी स्थितियाँ विकसित हो सकती हैं।
प्रोफेसर हंस वान डोंगेन ने कहा, जब यह “अव्यवस्थित” हो जाता है, तो यह तनाव का कारण बनता है और स्वास्थ्य की दृष्टि से घातक होता है। वान डोंगेन ने कहा कि केवल तीन-रात की पाली लय को बाधित कर सकती है और स्वास्थ्य जोखिम बढ़ सकता है। इससे मधुमेह और मोटापे की समस्या भी खड़ी हो सकती है।
टीम ने रक्त-आधारित प्रतिरक्षा प्रणाली कोशिकाओं में मौजूद प्रोटीन की पहचान की। इनमें से कुछ की लय मुख्य जैविक घड़ी से निकटता से जुड़ी हुई थी और रात की पाली की प्रतिक्रिया में कोई बदलाव नहीं दिखा। लेकिन, अधिकांश अन्य प्रोटीनों में परिवर्तन दिखा। ग्लूकोज विनियमन में शामिल प्रोटीन का विश्लेषण करते हुए टीम ने रात की पाली में प्रतिभागियों में ग्लूकोज लय का लगभग पूर्ण उलट पाया।
इसके अलावा, उन्होंने पाया कि रात की पाली के श्रमिकों में इंसुलिन उत्पादन और संवेदनशीलता से जुड़ी प्रक्रियाएं तालमेल से बाहर थीं। पिछले अध्ययनों से भी पता चला है कि रात की शिफ्ट में काम करने से रक्तचाप पर नकारात्मक प्रभाव पड़ता है। इससे हृदय रोग और स्ट्रोक का खतरा बढ़ जाता है।