राहत भरी खबर: पीजीआई मे लोगों के मानसिक स्वास्थ्य को दुरुस्त रखने के लिए 24 घंटे होगा इस बीमारी का इलाज
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चंडीगढ, 23 जून (विश्ववार्ता) लोगों के मानसिक स्वास्थ्य को दुरुस्त रखने के लिए राष्ट्रीय स्तर पर टेली मानस की सुविधा शुरू की गई है। अभी तक यह सुविधा सेक्टर-32 जीएमसीएच में है। यह सुबह 8 बजे से रात 8 बजे तक थी लेकिन अब जल्द ही यह सेवा 24 घंटे कर दी जाएगी।
पी.जी.आई मनोविज्ञान विभाग के डॉ.राहुल चक्रवर्ती का कहना है कि वह काफी समय से इस सुविधा को 24 घंटे शुरू करने की कोशिश कर रहे थे लेकिन स्टाफ की कमी के कारण यह संभव नहीं हो पा रहा था। हाल ही में 6 नए पार्षदों की भर्ती को मंजूरी दी गई है। इसके बाद यह सुविधा 24 घंटे चल सकेगी। शहर में यह सुविधा पिछले साल शुरू की गई थी। चंडीगढ़ समेत ट्राइसिटी के आसपास के लोग अवसाद, तनाव और मानसिक बीमारियों का इलाज घर पर ही मिल रहा है। मनोवैज्ञानिक और काउंसलर लोगों की मदद कर रहे हैं। कोविड के दौरान जीवन के सभी क्षेत्रों के लोगों का मानसिक स्वास्थ्य प्रभावित हुआ था। इन लोगों की मदद के लिए केंद्र ने टेली मेंटल हेल्थ असिस्टेंट और नेशनल एक्शनेबल प्लान स्टेट (ञ्ज-रू्रहृस्)बनाया। इसका लक्ष्य उन लोगों को मानसिक सहायता प्रदान करना है जो पहुंच से बाहर हैं।
इसके लिए हर राज्य और यू. टी में कम से कम एक केंद्र तो होगा ही। 24 घंटे चलने वाली इस सेवा में पी. जी. आई निगरानी कर रहा है। इसमें पंजाब, हरियाणा और लेह-लद्दाख समेत 8 राज्य और केंद्र शासित प्रदेश शामिल हैं। सभी केंद्रों में मनोवैज्ञानिकों, काउंसलरों, ऑडियो विजुअल और कंप्यूटर ऑपरेटरों की एक टीम है। फिलहाल रोजाना 10 से 15 कॉल आ रही हैं, जिनमें ज्यादातर मरीज 18 से 40 साल की उम्र के हैं। वे रिश्तों की समस्या, आत्महत्या आदि जैसे मामलों को लेकर भी कॉल करते हैं। डिप्रेशन डिसऑर्डर, एंजायटी डिसऑर्डर और साइकोसोमैटिक डिसऑर्डर से पीडि़त रोगी अधिक हैं। मानसिक स्वास्थ्य को ज्यादातर समाज में नजरअंदाज किया जाता है लेकिन अब लोग जागरूक हो रहे हैं। शायद यही वजह भी है कि मरीज सामने आ रहे हैं। अगर कोई मानसिक मदद लेना चाहता है तो 14416 या 180089144416 पर कॉल कर सकता है।
हर एक सैंटर के लिए पद तय किए गए हैं। साथ ही सैंटर और अन्य जरूरतों के लिए 2 करोड़ रुपये का बजट रखा गया है। डॉक्टरों के मुताबिक जरूरत पडऩे पर बजट मांगा जा सकता है। 2016-17 के सर्वे के मुताबिक देश में मानसिक रूप से बीमार लोगों के इलाज में 70 से 90 फीसदी का अंतर है। बहुत से लोग जानते हैं कि उन्हें मदद की ज़रूरत है लेकिन यह नहीं जानते कि कैसे माँगें। ऐसे में यह सुविधा कई बिंदुओं को जोडऩे की क्षमता रखती है।