किसानों का रेल रोको आंदोलान आज 32वें दिन मे प्रवेश
किसानों के रेल रोको आंदोलन के चलते रेलवे विभाग ने कुल इतनी ट्रेनों को कल तक किया रद्द
अपनी मांगो को लेकर किसानों का रेल रोको आंदोलन हौंसलों को लेकर लगातार बढता हुआ
चंडीगढ़, 20 मई (विश्ववार्ता): आज किसानों का रेल रोको आंदोलन को शुरु हुए 32वें दिन मे प्रवेश हो चुका है। किसानों के रेल रोको आंदोलन के चलते रेलवे विभाग ने 69 ट्रेनों को 22 मई तक रद्द घोषित किया है। इनमें चंडीगढ़ की 10 और मोहली की 1 ट्रेन शामिल है।
इसके साथ ही शंभु बैरियर पर ट्रैक जाम होने के कारण 53 ट्रेनों को वाया चंडीगढ़ होकर अंबाला भेजा जा रहा है। खरड़ और चंडीगढ़ अंबाला ट्रैक पर ट्रैफिक बढऩे से ट्रेनें निर्धारित समय से करीब 2 से 10 घंटे देरी से चल रही हैं।
यहीं नहीं अमृतसर दिल्ली शताब्दी कालका शताब्दी भी अपने निर्धारित समय से एक से 3 घंटे देरी से स्टेशन पहुंच रही है। एक्सप्रैस और सुपर फास्ट ट्रेनों को अंबाला और खरड़ से चंडीगढ़ पहुंचने में 3-3 घंटे लग रहे हैं। इससे रेलवे को करोड़ों रुपये का नुकसान हो चुका है, हालांकि अभी इसका आंकलन अभी नहीं किया गया। लेकिन स्थिति जस की तस बनी हुई है। 17 अप्रैल से शुरू हुए आंदोलन को लेकर 16 मई तक 5144 ट्रेनों का संचालन प्रभावित हो चुका है। इस दौरान 2017 ट्रेनों को पूर्णतौर पर रद्द रखा गया। वहीं 2043 ट्रेनों को बदले मार्ग से और 394 ट्रेनों को बीच रास्ते रद्द करके पुन: संचालित किया गया जबकि 690 मालगाडिय़ों को बदले मार्ग से गंतव्य की तरफ भेजा गया।
हरियाणा-पंजाब की सीमा शंभू बॉर्डर पर चल रहा किसानों का आंदोलन 95 वें दिन में प्रवेश कर गया है।
पंजाब के शंभू रेलवे स्टेशन के नजदीक रेलवे लाइन पर बैठे किसानों की वजह से रेलवे को आर्थिक नुकसान होने के साथ यात्रियों को भी काफी परेशानी हो रही है। किसान आंदोलन के कारण एक तरफ यात्रियों को शारीरिक और मानसिक पीड़ा झेलनी पड़ रही है, वहीं 3500 के करीब ट्रेनों का संचालन प्रभावित हो चुका है। प्राप्त जानकारी अनुसार रेलवे ने 17 अप्रैल से 12 मई तक 21 हजार टिकट रद्द किए हैं और रिफंड के तौर पर यात्रियों को 93 लाख रुपये लौटाए गए हैं।
दूसरी तरफ किसान आंदोलन के कारण अंबाला कैंट स्टेशन पर लगातार यात्रियों की भीड़ बढ़ती जा रही है। सबसे ज्यादा भीड़ प्लेटफार्म 1, 2, 3 और 4 पर है क्योंकि दिल्ली, अमृतसर और जम्मू की तरफ से आने वाली अधिकतर ट्रेनों का संचालन इन्हीं प्लेटफार्मों से हो रहा है।
ऐसे में यात्रियों की परेशानी को देखते हुए स्टेशन पर व्यवस्थाओं को दुरुस्त रखने के लिए रेलवे ने टीम की तैनाती कर दी है जोकि जनता खाने और पीने के पानी की उपलब्धता की जांच करेगी ताकि यात्रियों को दोनों सुविधाएं मिलती रहें। इसके लिए स्टाल संचालकों को निर्देश जारी किए गए हैं कि वो उचित मात्रा में जनता खाना और रेल नीर की आपूर्ति सुनिश्चित रखें। वहीं इंजीनियरिंग विभाग को भी निर्देश जारी किए गए हैं कि स्टेशन पर लगे वाटर कूलर और बूथ की व्यवस्था को दुरुस्त रखें।
नवीन कुमार, वरिष्ठ वाणिज्य प्रबंधक, अंबाला मंडल ने कहा है कि किसान आंदोलन के कारण अब तक 3877 ट्रेनों का संचालन प्रभावित हो चुका है। रेलवे ने आगामी तीन दिन यानी 13 मई तक 200 ट्रेनों की सूची जारी कर दी है। यात्री हेल्पलाइन नंबर 139 पर जानकारी लेने के बाद ही स्टेशन पर आएं ताकि उनकी परेशानी कुछ हद तक कम हो सके।
जबकि 17 अप्रैल से शुरु हुए किसान आंदोलन की वजह से अब तक 3877 ट्रेनों का संचालन प्रभावित हो चुका है। सुरक्षा कारणों व एकल मार्ग को देखते हुए रेलवे ने 1550 ट्रेनों को रद्द किया है, वहीं 1546 मेल व एक्सप्रेस और 479 मालगाडिय़ों को बदले मार्ग से चलाया जा रहा है। जबकि 202 ट्रेनों को बीच रास्ते रद्द करके पुन: संचालित किया जा रहा है।जानकारी के अनुसार पहले खुले आसमान के नीचे मंच लगा हुआ था। फिर टैंट लगाया गया था। ऐसे में काफी परेशानी होती थी। वहीं, पक्के मंच से किसान सरकार को भी चेता रहे हैं कि उनका आंदोलन ओर मजबूत हो रहा है। उधर, जेसीबी से खुदाई शुरू करने की एक वीडियो भी वायरल हो रही है। इसमें दिखाई दे रहा है कि एक तरफ किसान खुदाई करवा रहे हैं और पुलिस के जवान भी देख रहे हैं। किसानों का कहना है कि जब तक सरकार उनकी मांगों को मान नहीं लेती है उनका आंदोलन ऐसे ही जारी रहेगा।
वहीं, शताब्दी जैसी सुपरफास्ट गाड़ी भी लगातार देरी से जालंधर स्टेशन पर पहुंच रही है। इसके चलते यात्रियों को भारी दिक्कतों से गुजरना पड़ रहा है। लोगों का कहना है कि शताब्दी से यात्रा करने वालों को उम्मीद रहती है कि उक्त ट्रेन अपने तय समय पर पहुंच जाएगी लेकिन यदि शताब्दी लेट हो रही है तो दूसरी ट्रेनों का लेट होना स्वाभाविक है।
इस बीच ट्रेनों पर आंदोलन का खासा असर देखने को मिल रहा है। यात्री ट्रेनों की देरी को लेकर लोग काफी परेशान हो रहे हैं। भारत की सुपरफास्ट ट्रेनों में से एक वंदे भारत एक्सप्रेस करीब 3 घंटे की देरी से जालंधर पहुंची, जबकि अमृतसर स्वर्ण शताब्दी एक्सप्रेस ने यात्रियों को 2 घंटे तक इंतजार कराया। रिपोट्र्स के मुताबिक, ट्रैक पर किसानों के कारण रोजाना 200 से ज्यादा ट्रेनें प्रभावित हो रही हैं, जिनमें से ज्यादातर डायवर्ट रूट पर चल रही हैं, जबकि बाकी रद्द कर दी गई हैं।
किसानों के विरोध प्रदर्शन के कारण यात्रियों को परेशानी का सामना करना पड़ रहा है क्योंकि ट्रेनें या तो लेट हो रही हैं या रद्द हो रही हैं। किसान हरियाणा पुलिस द्वारा गिरफ्तार किए गए किसानों की रिहाई की मांग कर रहे हैं और शंभू रेलवे स्टेशन पर रेलवे ट्रैक को अवरुद्ध कर दिया है। किसानों के विरोध प्रदर्शन के कारण पंजाब से आने और जाने वाली ट्रेनें बड़े पैमाने पर प्रभावित हुई हैं।
इसी क्रम में आज भी जालंधर सिटी रेलवे स्टेशन और कैंट स्टेशन पर आने वाली एक दर्जन ट्रेनें रद्द कर दी गईं। इसके चलते यात्रियों को दूसरे रास्तों से होते हुए अपने रूट पर निकलना पड़ा और दूसरे विकल्प तलाशने पड़े। ट्रेनों के प्रभावित होने के कारण कई ट्रेनों का रूट डायवर्जन किया गया है। कुछ ट्रेनों को बीच रास्ते से ही वापस लौटा दिया जाता है, जिससे यात्रियों की यात्रा की योजना बाधित हो रही है।
किसानों के रेल रोको आंदोलन से ट्रेनों के प्रभावित होने के बाद रेलवे स्टेशन पर यात्रियों को परेशानी के हालात में बैठे देखा जा सकता है। यात्रियों का कहना है कि वे कई-कई घंटों से ट्रेनों का इंतजार कर रहे हैं लेकिन ट्रेन कब आएगी इसका जवाब कोई नहीं दे पा रहा है। परेशान यात्रियों ने सरकार से अपील करते हुए कहा कि किसानों का आंदोलन खत्म करवाया जाए ताकि जनता को कोई परेशानी ना हो। वहीं जिन यात्रियों को किसानों के आंदोलन की खबर है, वे ट्रेनों की टाइमिंग पहले से पता करने के बाद रेलवे स्टेशन पहुंच रहे हैं। वहीं कई लोगों को इसकी जानकारी नहीं है और वे स्टेशन पर आने के बाद ट्रेन का लंबा इंतजार करने को मजबूर है।
केंद्र सरकार ने किसानों से फसलों की खरीद से जुड़े कानून में बदलाव करने के लिए कृषि बिल पेश किया था। इस बिल के जरिए हो रहे बदलावों से किसान खुश नहीं थे। इस वजह से आंदोलन की शुरुआत हुई। पहले सिर्फ पंजाब हरियाणा के किसान सडक़ पर थे, लेकिन बाद में अन्य राज्यों के किसान भी इसमें शामिल हुए और सरकार को यह बिल वापस लेना पड़ा। इसके बाद किसानों का आंदोलन रुका, लेकिन कुछ समय बाद फिर किसान सडक़ों पर आ गए। किसानों की मांग उन किसानों को जेल से छोडऩे की है, जिन्हें आंदोलन के दौरान गिरफ्तार किया गया था। किसान चाहते हैं कि स्वामीनाथन आयोग की सिफारिश के अनुसार न्यूनतम समर्थन मूल्य के कानून बनाए जाएं। किसानों का कर्ज माफ किया जाए और आंदोलन में जिन किसानों की जान गई है। उनके परिवार को मुआवजा देने के साथ किसी एक सदस्य को नौकरी भी दी जाए।
केंद्र सरकार ने किसानों से फसलों की खरीद से जुड़े कानून में बदलाव करने के लिए कृषि बिल पेश किया था। इस बिल के जरिए हो रहे बदलावों से किसान खुश नहीं थे। इस वजह से आंदोलन की शुरुआत हुई। पहले सिर्फ पंजाब हरियाणा के किसान सडक़ पर थे, लेकिन बाद में अन्य राज्यों के किसान भी इसमें शामिल हुए और सरकार को यह बिल वापस लेना पड़ा। इसके बाद किसानों का आंदोलन रुका, लेकिन कुछ समय बाद फिर किसान सडक़ों पर आ गए। किसानों की मांग उन किसानों को जेल से छोडऩे की है, जिन्हें आंदोलन के दौरान गिरफ्तार किया गया था। किसान चाहते हैं कि स्वामीनाथन आयोग की सिफारिश के अनुसार न्यूनतम समर्थन मूल्य के कानून बनाए जाएं। किसानों का कर्ज माफ किया जाए और आंदोलन में जिन किसानों की जान गई है। उनके परिवार को मुआवजा देने के साथ किसी एक सदस्य को नौकरी भी दी जाए।