Harjot Bains ने केंद्रीय शिक्षा मंत्री को पत्र लिखकर CBSE पाठ्यक्रम में पंजाबी को मुख्य विषय के रूप में तुरंत शामिल करने की मांग की
* पंजाब के शिक्षा मंत्री ने पूरे देश की क्षेत्रीय भाषाओं की सूची में पंजाबी को शामिल करने की मांग की, ताकि देशभर के इच्छुक विद्यार्थियों को पंजाबी पढ़ने का अवसर मिल सके
* पंजाब सरकार पहले ही प्रदेश के सभी स्कूलों में पंजाबी को अनिवार्य करने का नोटिफिकेशन जारी कर चुकी है, पंजाबी को मुख्य विषय के रूप में न पढ़ाने वाले स्कूलों के प्रमाणपत्रों को नहीं मिलेगी मान्यता
* दबाव के बाद, सीबीएसई ने अपनी गलती मानी, लेकिन पंजाब ने पंजाबी को मुख्य विषय के रूप में बहाल करने के लिए ठोस कार्रवाई की मांग की: Harjot Bains
चंडीगढ़, 28 फरवरी (विश्ववार्ता)पंजाब सरकार ने केंद्र सरकार को गहरी निंद्रा से जागने के लिए आज फिर से सख्त रुख अपनाते हुए केंद्रीय माध्यमिक शिक्षा बोर्ड (सीबीएसई) के पाठ्यक्रम में पंजाबी को दसवीं कक्षा के लिए मुख्य विषय के रूप में बहाल करने और पूरे देश में क्षेत्रीय भाषाओं की सूची में पंजाबी को शामिल करने की मांग की है। इसका उद्देश्य यह सुनिश्चित करना है कि देशभर के विद्यार्थी पंजाबी भाषा को पढ़ने का विकल्प चुन सकें।
पंजाब के स्कूल शिक्षा मंत्री स हरजोत सिंह बैंस ने आज केंद्रीय शिक्षा मंत्री श्री धर्मेंद्र प्रधान को पत्र लिखकर सीबीएसई द्वारा जारी दसवीं कक्षा (2025-26) की परीक्षा प्रणाली में पंजाबी को जानबूझकर नजरअंदाज करने पर कड़ा ऐतराज और गहरी नाराजगी जताई है। उन्होंने केंद्र सरकार से तुरंत हस्तक्षेप कर इस गंभीर गलती को सुधारने की अपील की। उन्होंने कहा कि यह कदम पंजाब की भाषाई और सांस्कृतिक पहचान पर सीधा प्रहार है।
पंजाब सरकार ने 26 फरवरी, 2025 को एक नोटिफिकेशन जारी कर प्रदेश के सभी स्कूलों में पंजाबी को अनिवार्य मुख्य विषय बना दिया था, चाहे वे किसी भी शैक्षिक बोर्ड से संबंधित हों। इस अधिसूचना के तहत, जो स्कूल पंजाबी को मुख्य विषय के रूप में नहीं पढ़ाएंगे, उनके स्कूलों के प्रमाणपत्रों को मान्यता नहीं दी जाएगी।
अपने पत्र में स हरजोत सिंह बैंस ने लिखा कि नए परीक्षा पैटर्न में केवल पांच मुख्य विषयों—गणित, विज्ञान, सामाजिक विज्ञान, अंग्रेजी और हिंदी—को नियमित बोर्ड परीक्षाओं के लिए सूचीबद्ध किया गया है, जिससे पंजाबी को मुख्य विषयों की श्रेणी से हटा दिया गया है। इसके कारण अब पंजाबी भाषा की परीक्षा विदेशी भाषाओं के साथ एक ही दिन आयोजित होगी। उन्होंने इस बदलाव को पंजाबी भाषा को समाप्त करने की सोची-समझी साजिश करार दिया और इसे किसी भी कीमत पर बर्दाश्त न करने की बात कही।
उन्होंने आगे लिखा कि इसके अलावा, पंजाबी को क्षेत्रीय और विदेशी भाषाओं की सूची से भी हटा दिया गया है, जबकि जर्मन, फ्रेंच, थाई और जापानी जैसी भाषाओं को सूची में शामिल रखा गया है। उन्होंने कहा कि उनके सख्त विरोध और मीडिया के दबाव के चलते अंततः सीबीएसई को इस गंभीर गलती को स्वीकार करना पड़ा। उन्होंने इस मामले की गहन जांच करवाने की मांग की है।
उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि पंजाबी केवल एक भाषा नहीं, बल्कि पंजाब की समृद्ध सांस्कृतिक विरासत की मजबूत नींव है। उन्होंने कहा कि पंजाब ने स्वतंत्रता संग्राम और राष्ट्रीय सुरक्षा के लिए देशहित में बड़ी कुर्बानियां दी हैं।
स हरजोत सिंह बैंस ने कहा कि केंद्र सरकार के इस फैसले से हर पंजाबी की भावनाओं को ठेस पहुंची है और इसे मात्र एक प्रशासनिक भूल नहीं कहा जा सकता। उन्होंने पंजाबी भाषा को नजरअंदाज करने के इस भेदभावपूर्ण फैसले की पूर्ण जांच की मांग की है। उन्होंने अपने पत्र में लिखा, “मैं राज्य के अधिकारों और कानून का उल्लंघन करने वाले इस पक्षपातपूर्ण आदेश को तुरंत वापस लेने की मांग करता हूं और केंद्र सरकार से स्पष्ट आश्वासन चाहता हूं कि पंजाब के सभी सीबीएसई स्कूलों में पंजाबी को मुख्य विषय के रूप में बहाल किया जाएगा।”