🙏🌹 *हुकमनामा श्री हरमंदिर साहिब अमृतसर* 🙏🌹
🙏🌹 *Hukamnama shri harimandir sahib ji* 🙏🌹
सोरठि महला ३ ॥ बिनु सतिगुर सेवे बहुता दुखु लागा जुग चारे भरमाई ॥ हम दीन तुम जुगु जुगु दाते सबदे देहि बुझाई ॥१॥ हरि जीउ क्रिपा करहु तुम पिआरे ॥ सतिगुरु दाता मेलि मिलावहु हरि नामु देवहु आधारे ॥ रहाउ ॥ मनसा मारि दुबिधा सहजि समाणी पाइआ नामु अपारा ॥ हरि रसु चाखि मनु निरमलु होआ किलबिख काटणहारा ॥२॥ सबदि मरहु फिरि जीवहु सद ही ता फिरि मरणु न होई ॥ अम्रितु नामु सदा मनि मीठा सबदे पावै कोई ॥३॥ दातै दाति रखी हथि अपणै जिसु भावै तिसु देई ॥ नानक नामि रते सुखु पाइआ दरगह जापहि सेई ॥४॥११॥
अर्थ..
हे भाई! गुरु की सरन आये बिना मनुख को बहुत दुःख चिपका रहता है, मनुख सदा ही भटकता फिरता है। हे प्रभु! हम (जीव, तेरे दर के) भिखारी हैं, तूँ हमेशां ही दातें देने वाला है, (कृपा कर, गुरु के) शब्द में जोड़ कर आत्मिक जीवन की समझ बक्श॥१॥ प्यारे प्रभु जी! (मेरे ऊपर) कृपा कर, तेरे नाम की डाट देने वाला प्रभु मुझे मिला, और (मेरी जिन्दगी का) सहारा अपना नाम मुझे दे॥रहाउ॥हे भाई! गुरू की शरण पड़े बिना मनुष्य को बहुत सारे दुख चिपके रहते हैं, मनुष्य सदा ही भटकता फिरता है। हे प्रभू! हम (जीव, तेरे दर के) मंगते हैं, तू सदा ही (हमें) दातें देने वाला है, (मेहर कर, गुरू के) शबद में जोड़ के आत्मिक जीवन की समझ दे।1।