अपनी मांगो को लेकर लगातार किसानों का रेल रोको आंदोलन जारी
पंजाब आने वाली सैकड़ों ट्रेनें आज भी रद्द
17 दिन से ट्रैक पर किसान, रोजाना 200 से ज्यादा ट्रेनें हुई प्रभावित, यात्री हो रहे परेशान
चंडीगढ, 3 मई (विश्ववार्ता) हरियाणा से सटे पंजाब के शंभू रेलवे स्टेशन के पास किसानों के रेल रोको आंदोलन का आज 17वां दिन है। इस बीच ट्रेनों पर आंदोलन का खासा असर देखने को मिल रहा है। यात्री ट्रेनों की देरी को लेकर लोग काफी परेशान हो रहे हैं। भारत की सुपरफास्ट ट्रेनों में से एक वंदे भारत एक्सप्रेस करीब 3 घंटे की देरी से जालंधर पहुंची, जबकि अमृतसर स्वर्ण शताब्दी एक्सप्रेस ने यात्रियों को 2 घंटे तक इंतजार कराया। रिपोट्र्स के मुताबिक, ट्रैक पर किसानों के कारण रोजाना 200 से ज्यादा ट्रेनें प्रभावित हो रही हैं, जिनमें से ज्यादातर डायवर्ट रूट पर चल रही हैं, जबकि बाकी रद्द कर दी गई हैं।
किसानों के विरोध प्रदर्शन के कारण यात्रियों को परेशानी का सामना करना पड़ रहा है क्योंकि ट्रेनें या तो लेट हो रही हैं या रद्द हो रही हैं। किसान हरियाणा पुलिस द्वारा गिरफ्तार किए गए किसानों की रिहाई की मांग कर रहे हैं और शंभू रेलवे स्टेशन पर रेलवे ट्रैक को अवरुद्ध कर दिया है। किसानों के विरोध प्रदर्शन के कारण पंजाब से आने और जाने वाली ट्रेनें बड़े पैमाने पर प्रभावित हुई हैं।
इसी क्रम में आज भी जालंधर सिटी रेलवे स्टेशन और कैंट स्टेशन पर आने वाली एक दर्जन ट्रेनें रद्द कर दी गईं। इसके चलते यात्रियों को दूसरे रास्तों से होते हुए अपने रूट पर निकलना पड़ा और दूसरे विकल्प तलाशने पड़े। ट्रेनों के प्रभावित होने के कारण कई ट्रेनों का रूट डायवर्जन किया गया है। कुछ ट्रेनों को बीच रास्ते से ही वापस लौटा दिया जाता है, जिससे यात्रियों की यात्रा की योजना बाधित हो रही है।
किसानों के रेल रोको आंदोलन से ट्रेनों के प्रभावित होने के बाद रेलवे स्टेशन पर यात्रियों को परेशानी के हालात में बैठे देखा जा सकता है। यात्रियों का कहना है कि वे कई-कई घंटों से ट्रेनों का इंतजार कर रहे हैं लेकिन ट्रेन कब आएगी इसका जवाब कोई नहीं दे पा रहा है। परेशान यात्रियों ने सरकार से अपील करते हुए कहा कि किसानों का आंदोलन खत्म करवाया जाए ताकि जनता को कोई परेशानी ना हो। वहीं जिन यात्रियों को किसानों के आंदोलन की खबर है, वे ट्रेनों की टाइमिंग पहले से पता करने के बाद रेलवे स्टेशन पहुंच रहे हैं। वहीं कई लोगों को इसकी जानकारी नहीं है और वे स्टेशन पर आने के बाद ट्रेन का लंबा इंतजार करने को मजबूर है।
केंद्र सरकार ने किसानों से फसलों की खरीद से जुड़े कानून में बदलाव करने के लिए कृषि बिल पेश किया था। इस बिल के जरिए हो रहे बदलावों से किसान खुश नहीं थे। इस वजह से आंदोलन की शुरुआत हुई। पहले सिर्फ पंजाब हरियाणा के किसान सडक़ पर थे, लेकिन बाद में अन्य राज्यों के किसान भी इसमें शामिल हुए और सरकार को यह बिल वापस लेना पड़ा। इसके बाद किसानों का आंदोलन रुका, लेकिन कुछ समय बाद फिर किसान सडक़ों पर आ गए। किसानों की मांग उन किसानों को जेल से छोडऩे की है, जिन्हें आंदोलन के दौरान गिरफ्तार किया गया था। किसान चाहते हैं कि स्वामीनाथन आयोग की सिफारिश के अनुसार न्यूनतम समर्थन मूल्य के कानून बनाए जाएं। किसानों का कर्ज माफ किया जाए और आंदोलन में जिन किसानों की जान गई है। उनके परिवार को मुआवजा देने के साथ किसी एक सदस्य को नौकरी भी दी जाए।