<h2></h2> <h2><strong>🙏🌹 हुकमनामा श्री हरमंदिर साहिब अमृतसर 🙏🌹</strong></h2> <h2><strong>🙏🌹 Hukamnama shri harimandir sahib ji 🙏🌹</strong></h2> <h3><span style="color: #008000;"><strong>धनासरी महला १ ॥</strong></span></h3> <h3> <span style="color: #008000;"><strong>जीवा तेरै नाइ मनि आनंदु है जीउ ॥ साचो साचा नाउ गुण गोविंदु है जीउ ॥ गुर गिआनु अपारा सिरजणहारा जिनि सिरजी तिनि गोई ॥ परवाणा आइआ हुकमि पठाइआ फेरि न सकै कोई ॥ आपे करि वेखै सिरि सिरि लेखै आपे सुरति बुझाई ॥ नानक साहिबु अगम अगोचरु जीवा सची नाई ॥१॥ तुम सरि अवरु न कोइ आइआ जाइसी जीउ ॥ हुकमी होइ निबेड़ु भरमु चुकाइसी जीउ ॥ गुरु भरमु चुकाए अकथु कहाए सच महि साचु समाणा ॥ आपि उपाए आपि समाए हुकमी हुकमु पछाणा ॥ सची वडिआई गुर ते पाई तू मनि अंति सखाई ॥ नानक साहिबु अवरु न दूजा नामि तेरै वडिआई ॥२॥ </strong></span></h3> <h3><span style="color: #008000;"><strong>हे प्रभु जी! तेरे नाम में (जुड़ के) मेरे अंदर आत्मिक जीवन पैदा होता है, मेरे मन में ख़ुशी पैदा होती है। हे भाई! परमात्मा का नाम सदा-थिर रहने वाला है, प्रभु गुणों (का खज़ाना ) है और धरती के जीवों के दिल की जानने वाला है। गुरु का बक्शीश ज्ञान बताता है की सिरजनहार प्रभु बयंत है, जिसने यह सृष्टि पैदा की है, वो ही इस को नास करता है। जब उस के हुकम में भेजा हुआ (मौत का) पैगाम आता है तो कोई जीव (उस पैगाम को) मोड़ नहीं सकता। परमात्मा खुद ही (जीवों को) पैदा कर के आप ही संभाल करता है, खुद ही हरेक जीव के सिर ऊपर (उस के किये कर्मो अनुसार) लेख लिख देता है, खुद ही (जिव को सही जीवन-राह की) सूझ देता है। मालिक-प्रभु अपहुँच है, जीवों की ज्ञान-इन्द्रियों की उस तक पहुँच नहीं हो सकती। गुरू नानक जी कहते हैं, हे नानक! (उस के दर प् अरदास कर, और कह-हे प्रभु! ) तेरी सदा कायम रहने वाली सिफत-सलाह कर के मेरे अंदर आत्मिक जीवन पैदा होता है (मुझे अपनी सिफत-सलाह बक्श)।१।</strong></span></h3> <h3><span style="color: #008000;"><strong>( Waheguru Ji Ka Khalsa, Waheguru Ji Ki Fathe )</strong></span> <span style="color: #008000;"><strong>ਗੱਜ-ਵੱਜ ਕੇ ਫਤਹਿ ਬੁਲਾਓ ਜੀ !</strong></span> <span style="color: #008000;"><strong>ਵਾਹਿਗੁਰੂ ਜੀ ਕਾ ਖਾਲਸਾ !!</strong></span> <span style="color: #008000;"><strong>ਵਾਹਿਗੁਰੂ ਜੀ ਕੀ ਫਤਹਿ !!</strong></span></h3>