Chandigarh News: 2008 कर्मचारी आवास योजना पर CHD प्रशासन ने हाईकोर्ट के आदेश को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती
चंडीगढ़, 21 नवंबर (विश्ववार्ता) यूटी प्रशासन ने आखिरकार पंजाब एवं हरियाणा उच्च न्यायालय के उस आदेश के खिलाफ सर्वोच्च न्यायालय में विशेष अनुमति याचिका (एसएलपी) दायर की है, जिसमें यूटी प्रशासन और चंडीगढ़ हाउसिंग बोर्ड (सीएचबी) को सरकारी कर्मचारियों के लिए स्व-वित्तपोषित आवास योजना के तहत फ्लैटों का निर्माण शुरू करने और एक वर्ष के भीतर प्रक्रिया पूरी करने का निर्देश दिया गया था।
30 मई को हाईकोर्ट ने यूटी प्रशासन को 2008 की दरों पर एक साल के भीतर फ्लैट बनाने का निर्देश दिया था। आदेश में कहा गया है कि निर्माण लागत मौजूदा दरों पर कर्मचारियों द्वारा वहन की जाएगी, जो तीन बेडरूम वाले फ्लैट के लिए लगभग 50 लाख रुपये, दो बेडरूम वाले फ्लैट के लिए 40 लाख रुपये, एक बेडरूम वाले फ्लैट के लिए 35 लाख रुपये और आर्थिक रूप से कमजोर वर्ग (ईडब्ल्यूएस) इकाई के लिए 15 लाख रुपये है।
सीएचबी ने 2008 में यूटी कर्मचारियों के लिए स्व-वित्तपोषित कर्मचारी आवास योजना शुरू की थी। 4 नवंबर, 2010 को लॉटरी निकाली गई और 3,950 से ज़्यादा कर्मचारी सफल हुए। लेकिन सीएचबी ने कुछ नहीं किया और सफल आवेदकों को स्वीकृति-सह-मांग पत्र भी जारी नहीं किए गए।
इस बीच कर्मचारी संघ ने भी जुलाई में सुप्रीम कोर्ट में कैविएट दाखिल की थी। यह एक चेतावनी और एहतियाती नोटिस के रूप में कार्य करती है। इसमें अदालत से अनुरोध किया जाता है कि वह इसे दायर करने वाले पक्ष को दूसरे पक्ष को सुने बिना कोई राहत न दे। योजना के तहत फ्लैट के लिए आवेदन करने वाले कर्मचारियों ने देरी पर निराशा व्यक्त की है। उनका कहना है कि नौकरशाही आम आदमी के खिलाफ काम कर रही है। कर्मचारियों को बिना वजह परेशान किया जा रहा है। उनका कहना है कि हमारी गलती क्या है? हम आखिरी सांस तक लड़ते रहेंगे। हमें न्यायपालिका पर पूरा भरोसा है। न्याय की प्रतीक्षा में 100 से अधिक कर्मचारी पहले ही मर चुके हैं।