‘खालसा माता’ Mata Sahib Kaur की जयंती आज
माता साहिब कौर जी को खालसा की माता होने का है गौरव प्राप्त
मधुरता, नम्रता, धैर्य, संतोष और दयालुता की मिशाल थी माता साहिब कौर
चंडीगढ़, 3 नवंबर (विश्ववार्ता): ‘खालसा माता’ माता साहिब कौर की जयंती आज देशभर मे सिखों द्वारा मनाई जा रही है। माता साहिब कौर जी का जन्म भाई रामू जी के घर रोहतास जिला झेलम (अब पाकिस्तान) में माता जसदेई जी की कोख से हुआ था। माता साहिब कौर जी का विवाह सिखों के दसवें गुरु, गुरु गोबिंद सिंह जी से हुआ था। माता साहिब कौर जी को खालसा की माता होने का गौरव प्राप्त है। उनका मूल नाम साहिब देवन था। माता साहिब कौर बचपन में भगवान की भक्ति में लीन रहती थीं। बचपन से ही उनमें वे सभी गुण थे जो एक गुणी व्यक्ति में पाए जाते हैं: 1. सुडौल शरीर, 2. प्रसन्नचित्त 3. हँसता हुआ चेहरा 4. वाणी में अत्यधिक मधुरता, नम्रता, धैर्य, संतोष और दयालुता आदि जिसके कारण वे वह न केवल परिवार में बल्कि पूरे गांव में लोकप्रिय थे। वह बचपन से ही गुरु घर से जुड़े रहे। बड़े होने पर जपुजी साहिब, रहरास साहिब, कीर्तन सोहिला और कई शब्द कंठस्थ हो गये। आवाज में इतनी मिठास कि जब वे अपने गुरुद्वारों में कीर्तन करते हैं तो भक्त मंत्रमुग्ध हो जाते हैं। वह सदैव गुरु गोबिंद सिंह जी की चर्चा करते रहते थे। लोग उन्हें प्यार से माँ कहकर बुलाते थे। वर्ष 1700 ई. में उनका पूरा परिवार और रोहतास के अनुयायी कलगीधर जी के दर्शन के लिए श्री आनंदपुर साहिब पहुंचे।