श्री अकाल तख्त साहिब के जत्थेदार ने बंदी छोड दिवस पर सिखो के लिए जारी किया यह आदेश
कहा इस दिन कोई भी सिख बिजली की रोशनी नहीं जलाएगा
चंडीगढ़, 30 अक्टूबर (विश्ववार्ता) बडी खबर सामने आ रही है कि बंदी छोड दिवस को लेकर श्री अकाल तख्त साहिब के जत्थेदार ज्ञानी रघबीर सिंह ने एक आदेश जारी किया है जिसमे कहा गया है कि 1 नवंबर को बंदी छोड़ दिवस पर पूरे देश को केवल घी के दीये जलाने का आदेश दिया है। उन्होंने कहा है कि इस दिन कोई भी सिख बिजली की रोशनी नहीं जलाएगा। श्री हरमंदिर साहिब और श्री अकाल तख्त साहिब पर रौशनी के लिए लाइटें लगाई जाएंगी। 1 नवंबर 1984 को हुए सिख नरसंहार को 40 साल बाद भी न्याय नहीं मिला है। इसके विरोध में देश सिर्फ घी के दीये जलाएगा।
अकाल तख्त साहिब सचिवालय द्वारा जारी एक लिखित बयान में सिंह साहिब ज्ञानी रघबीर सिंह ने कहा कि 1 नवंबर 1984 को देश की राजधानी दिल्ली सहित देश के अलग-अलग राज्यों के 110 शहरों में तात्कालिक कांग्रेस सरकार के दौरान सिखों पर अत्याचार किया गया था। उन्होंने कहा कि 1 नवंबर 2024 को सिख नरसंहार के 40 साल पूरे होने जा रहे हैं।
उन्होंने कहा कि पिछले 40 वर्षों के दौरान सिखों ने भारत सरकार के तत्वावधान में अपने नरसंहार के बहुमुखी प्रभावों से उबरने के बाद अपनी राष्ट्रीय कथा को फिर से स्थापित करने के लिए जो संघर्ष किया है, वह भी अविश्वसनीय और अभूतपूर्व है।उन्होंने कहा कि नवंबर 84 एक ऐसी त्रासदी है जो दुनिया भर के सिखो को हमेशा याद रहेगी।
जत्थेदार साहिब ने कहा कि 1 नवंबर को श्री गुरु हरगोबिंद साहिब जी की ग्वालियर के किले से रिहाई और श्री अमृतसर साहिब में उनके आगमन की याद में बंदीछोड़ दिवस भी है। सिख नरसंहार को देखते हुए बंदीछोड़ दिवस के अवसर पर केवल श्री हरमंदिर साहिब और श्री अकाल तख्त साहिब पर विद्युत सजावट की जाएगी। इसके अलावा दुनिया भर में रहने वाले सिख संघ छठे पातशाह श्री गुरु हरगोबिंद साहिब जी की पवित्र स्मृति में बंदीछोड़ दिवस मनाते हुए गुरुद्वारों और घरों में केवल घी के दीपक जलाएं और किसी भी प्रकार की बिजली की सजावट न करें।