अर्थ :-हे भाई ! जब मनुख ने परमात्मा का पला पकड़ा, तब वह (माया के पंजे में से) बच गया। जब गुरु की कृपा के साथ मनुख ने परमात्मा की सिफ़त-सालाह के गीत गाने शुरू कीते, तब विकारों का रोग (उस के अंदर से) खत्म हो गया।1।रहाउ। हे भाई ! जिस (माया) ने सारे तै®-गुणी संसार को सारे चार-कूट जगत को आपने वश में किया हुआ है, जिस ने जग करने वाले, स्नान करने वाले, तप करने वाले सारे जगह भंन के रख दिये हैं, इस जीव विचारे की क्या पाँइआँ है (कि उस का टाकरा कर सके) ?।1। हे भाई ! वह माया जब मनुख को आ के भरमाँदी है, तब ना उस की आवाज सुणीदी है, ना वह मुक्ख से बोलती है, ना वह अखीं दिखती है। कोई ऐसी नशीली चीज खवा के मनुख को कुराहे पा देती है कि सभी के मन में वह प्यारी पई लगती है।2। हे भाई ! माँ, पिता, पुत्र, मित्र, भरा-उस माया ने हरेक के हृदय में वितकरा पा रखा है। किसी पास (माया) बहुती है, किसी पास र्थोंड़ी है (बस, इसी गले) सारे (आपस में) लड़ लड़ के पए खपदे हैं।3। हे भाई ! मैं अपने गुरु से कुरबान जाता हूँ, जिस ने मुझे (माया का) यह तमाशा (अखीं) दिखा दिया है। (मैं देख लिया है कि माया की इस) लुकी हुई अग्नि के साथ सारा जगत सड़ रहा है। परमात्मा की भक्ति करने वाले मनुख ऊपर माया (अपना) जोर नहीं डाल सकती।4। हे नानक ! गुरु की कृपा के साथ (जिस मनुख ने) परमात्मा का नाम-धन खोज लिया है, और यह धन खट्-कमा के अपने हृदय-घर में ले आँदा है, वह बड़ा आत्मिक आनंद मनाता है; उस के (माया वाले) सारे बंधन काटे जाते हैं।5।11।