टोडी महला ५ घरु २ दुपदे ੴ सतिगुर प्रसादि ॥ मागउ दानु ठाकुर नाम ॥ अवरु कछू मेरै संगि न चालै मिलै क्रिपा गुण गाम ॥१॥ रहाउ ॥ राजु मालु अनेक भोग रस सगल तरवर की छाम ॥ धाइ धाइ बहु बिधि कउ धावै सगल निरारथ काम ॥१॥ बिनु गोविंद अवरु जे चाहउ दीसै सगल बात है खाम ॥ कहु नानक संत रेन मागउ मेरो मनु पावै बिस्राम ॥२॥१॥६॥
अर्थ :- राग टोडी, घर २ विच गुरु अरजनदेव जी की दो बंदो वाली बाणी। अकाल पुरख एक है और सतगुरु की कृपा द्वारा मिलता है। हे स्वामी भगवान ! मैं (तेरे पासों तेरे) नाम का दान माँगता हूँ । कोई भी ओर चीज मेरे साथ नहीं जा सकती । अगर तेरी कृपा हो, तो मुझे तेरी सिफ़त-सालाह मिल जाए ।1 ।रहाउ । हे भाई ! हुकूमत, धन, और, अनेकों पदार्थों के स्वाद-यह सारे वृक्ष की छाया जैसे हैं (सदा एक जगह टिके नहीं रह सकते) । मनुख (इन की खातिर) सदा ही कई तरीको के साथ दौड़-भाग करता रहता है, पर उस के सारे काम व्यर्थ चले जाते हैं ।1। हे नानक ! बोल-(हे भाई !) अगर मैं परमात्मा के नाम के बिना कुछ ओर ओर ही माँगता रहूँ, तो यह सारी बात कची है । मैं तो संत जनों के चरणों की धूल माँगता हूँ, (ता कि) मेरा मन (दुनिया वाली दौड़-भाग से) टिकाना हासिल कर सके ।2II1II6II
“नानक नाम चडड़ी कला तेरे भाणे सरबत दा भला” “वाहिगुरू जी आप नूं हमेशा चड़दी कला विच रखन जी”