जंक फूड व चीनी के सेवन से आपके लाडले को लग सकती है भंयकर बीमारी
शोध से हुए चौंकाने वाले खुलासे
चंडीगढ, 24 अप्रैल (विश्ववार्ता):: चिकित्सा विशेषज्ञों के मुताबिक तीन में से एक बच्चा गैर-अल्कोहल फैटी लिवर रोग (एनएएफएलडी) से पीडि़त है. यह रोग मुख्य रूप से चीनी के अधिक सेवन के कारण होता है. 5-16 वर्ष की आयु के बच्चों में यह रोग एक चिंता का विषय बन गया है. पहले, बच्चों को लिवर रोग से सुरक्षित माना जाता था। केवल एक दशक में एनएएफएलडी से पीडि़त बच्चों की संख्या 10-33 प्रतिशत तक बढ़ गई है।
चिकित्सा विशेषज्ञों के मुताबिक 3 में से एक बच्चा गैर-अल्कोहल फैटी लिवर रोग (एनएएफएलडी) से पीडि़त है। यह रोग मुख्य रूप से चीनी के अधिक सेवन के कारण होता है। 5-16 वर्ष की आयु के बच्चों में यह रोग एक चिंता का विषय बन गया है। पहले, बच्चों को लिवर रोग से सुरक्षित माना जाता था। केवल एक दशक में एनएएफएलडी से पीडि़त बच्चों की संख्या 10-33 प्रतिशत तक बढ़ गई है।
बाल चिकित्सा हेपेटोलॉजिस्ट, पीयूष उपाध्याय ने कहा कि अधिक चीनी और अस्वास्थ्यकर वसा वाले प्रसंस्कृत भोजन का सेवन बच्चों में एनएएफएलडी रोग का प्रमुख कारण है। मीठे पेय और जंक फूड के खतरों के प्रति आगाह करते हुए, उन्होंने बताया कि ट्राइग्लिसराइड्स नामक एक प्रकार की वसा, लिवर कोशिकाओं में जमा हो जाती है। इससे शरीर द्वारा ली जाने वाली या उत्पादित वसा की मात्रा और लिवर की इसे संसाधित करने और खत्म करने की क्षमता के बीच असंतुलन हो जाता है।
इससे इस रोग की संभावना बढ़ जाती है। उपाध्याय ने कहा, ‘यह असंतुलन कई कारकों, जैसे आनुवंशिकी, गतिहीन जीवन शैली, मोटापा, इंसुलिन प्रतिरोध और अस्वास्थ्यकर आहार के कारण होता है। दशकों पहले, फैटी लिवर रोग मुख्य रूप से शराब की लत के कारण होता था।’ ‘हालांकि, गैरअल्कोहल फैटी लिवर रोग तेजी से आम होता जा रहा है। हर महीने एनएएफएलडी वाले लगभग 60-70 बच्चे देखे जा सकते हैं जो एक दशक के मुकाबले दोगुने से भी अधिक है।’
एक अन्य गैस्ट्रोएंटेरोलॉजिस्ट, पुनीत मेहरोत्रा ने कहा, ‘कई अध्ययनों से पता चला है कि जीवनशैली में बदलाव कर एनएएफएलडी को रोका जा सकता है। इसके लिए चीनी और जंक फूड का सेवन कम करना और नियमित रूप से कम से कम 30 मिनट तक व्यायाम करना होगा।’ उन्होंने एनएएफएलडी के लिवर सिरोसिस में बदलने का खतरा बताते हुए कहा कि यह एक गंभीर स्थिति है। इसका उपचार लिवर प्रत्यारोपण है।