Government की मोदी सरकार ने लिया किसानों को लेकर बडा फैसला
इन चावलों के एक्सपोर्ट पर प्रतिबंध को तत्काल प्रभाव से हटाया
निर्यात पर लगे प्रतिबंध हटने से किसानों की आय की में होगी बढ़ोतरी
चंडीगढ़, 3 अक्तूबर (विश्ववार्ता): बडी खबर सामने आ रही है कि केंद्र की मोदी सरकार ने किसानों को लेकर बडा फैसला लेते हुए गैर-बासमती सफेद चावल के एक्सपोर्ट पर प्रतिबंध को तत्काल प्रभाव से हटा दिया है। सरकार ने जुलाई 2023 में चावल की घरेलू आपूर्ति सुनिश्चित करने और कीमतों को नियंत्रण में रखने के लिए प्रतिबंध लगाया था। एक्सपोर्टर्स ने गैर-बासमती सफेद चावल के एक्सपोर्ट से पाबंदी हटाने के फैसले की सराहना की और कहा कि इससे किसानों को फायदा होगा।
इंडियन राइस एक्सपोर्टर फेडरेशन के अध्यक्ष डॉ प्रेम गर्ग ने बताया कि इस प्रतिबंध को हटाने का भारत सरकार का फैसला कृषि क्षेत्र के लिए फायदेमंद है क्योंकि इससे कई क्षेत्रों के लोगो को फायदा मिलेगा। सरकार की ओर से जारी नोटिफिकेशन में कहा गया है कि ब्राउन राइस और छिलके वाले चावल पर भी एक्सपोर्ट ड्यूटी को 20 प्रतिशत से घटाकर 10 प्रतिशत कर दिया गया है। सफेद चावल पर एक्सपोर्ट ड्यूटी 10 त्न से घटाकर शून्य कर दी गई है। यह कटौती तुरंत प्रभाव से लागू होगी।
उल्लेखनीय है कि केंद्र सरकार ने पिछले साल जुलाई में चावल की घरेलू आपूर्ति सुनिश्चित करने के लिए और चावल की कीमत को नियंत्रण में रखने के लिए गैर बासमती सफेद चावल के निर्यात पर प्रतिबंध लगा दिया था। लेकिन अब एक्सपोर्ट ड्यूटी में कमी होने से भारत से निर्यात किए जाने वाले चावल के निर्यात मूल्य में कमी आएगी। साथ ही शिपमेंट में भी तेजी आएगी।
गैर बासमती सफेद चावल के एक्सपोर्ट पर लगे प्रतिबंध और चावल की अन्य किस्मों पर लगने वाली एक्सपोर्ट ड्यूटी में की गई कमी का राइस एक्सपोर्टर्स ने स्वागत किया है। मून राइस एक्सपोर्ट्स के सीईओ नरेश गुप्ता का कहना है कि निर्यात पर लगे प्रतिबंध को हटाने का फैसला कृषि क्षेत्र को मजबूती देगा और इससे किसानों की आय में भी बढ़ोतरी होगी।
हालांकि कुछ जानकारों का कहना है की गैर बासमती सफेद चावल के निर्यात से प्रतिबंध हटाने का सीधा असर परमल धान की कीमत पर होगा। चावल के निर्यात पर लगे प्रतिबंध के समाप्त होने के बाद बाजार में तेजी आने की संभावना है। बाजार में धान की मांग तुलनात्मक तौर पर और अधिक बढ़ेगी, जिससे सरकारी खरीद शुरू होने के पहले भी किसानों को अपनी उपज के एवज में ज्यादा कीमत मिल सकेगी।