प्रेम परोपकार नहीं होता। जो प्रेमी बलिदान चाहे, वह प्रेमी नहीं होता। बलिदान के बाद प्रेम, प्रेम नहीं रहता, परोपकार बन जाता है। आदर्श नहीं, घमण्डी और बनावटी परोपकार।
जीवन उनका नहीं युधिष्ठिर , जो उससे डरते हैं वह उनका , जो चरण रोप निर्भय हो कर लड़ते हैं ।