जेल से बाहर आये केजरीवाल के आने से Haryana की सियासत मे हो सकता है बडा धमाका
क्या हरियाणा मे Congress के लिए आफत बन सकते है kejriwal
हरियाणा में त्रिकोणीय मुकाबले की कितनी संभावना ?
चंडीगढ़, 14 सिंतबर (विश्ववार्ता) सुप्रीम कोर्ट ने आबकारी नीति ‘घोटाले मामले में दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल को जमानत दे दी। केजरीवाल को जमानत दिए जाने के बाद अब हरियाणा की सियासत मे नतीजों के दिन 8 अक्तूबर को बडा धमाका होने की संभावना देखी जा रही है क्योकि केजरीवाल का चुनाव प्रचार राजनीतिक रूप से कांग्रेस के लिए नुकसानदायक और सत्तारूढ़ भाजपा के लिए फायदेमंद साबित हो सकता है।
पांच अक्तूबर को होने वाले हरियाणा चुनाव में अभी बीस दिन से ज्यादा बचे हैं। भाजपा व कांग्रेस के अलावा प्रदेश में भारतीय राष्ट्रीय लोकदल, जननायक जनता पार्टी भी मैदान में है। वहीं, कांग्रेस के साथ समझौता न होने से आप ने भी सभी 90 सीटों पर अपने उम्मीदवार उतार दिए हैं।
हरियाणा चुनावों में आम आदमी पार्टी के पूरी ताकत से उतरने से कांग्रेस को नुकसान पहुंच सकता है। पड़ोसी राज्य पंजाब में सरकार बनाने के बाद से ही आप पार्टी के हौसले बुलंद हैं और अपने नेता अरविंद केजरीवाल के जेल से रिहा होने के बाद उसके कार्यकर्ता और भी ज्यादा जोश में नजर आ रहे हैं। साथ ही दिल्ली के सीएम की पत्नी सुनीता केजरीवाल के साथ-साथ पार्टी के बाकी नेता भी प्रचार-प्रसार में कोई कमी नहीं छोड़ रहे हैं। सियासी पंडितों का मानना है कि आप के प्रचार अभियान को जितनी गति मिलेगी, बीजेपी विरोधी वोट उतना ही बंटेगा जिससे कांग्रेस को नुकसान और भगवा दल को फायदा हो सकता है।
कांग्रेस के साथ बातचीत में गतिरोध आने के बाद आप ने हरियाणा की सभी 90 विधानसभा सीटों के लिए उम्मीदवारों की घोषणा कर दी है. इस बीच, कांग्रेस 89 सीटों पर चुनाव लड़ रही है, जबकि एक सीट माकपा के लिए छोड़ी गई है।
राजनीति के एक्सपट्र्स की मानें तो भले ही आप पार्टी का हरियाणा में पिछले विधानसभा चुनावों में खास रिकॉर्ड नहीं रहा हो, इस बार वह अपने वोट बेस में बढ़ोत्तरी कर सकती है। उसकी तरफ गया एक-एक वोट नतीजों को बुरी तरह प्रभावित कर सकता है। हालांकि हरियाणा में अधिकांश सीटों पर मुकाबला बीजेपी और कांग्रेस के बीच ही होने की संभावना है। इसके अलावा दुष्यंत चौटाला की जननायक जनता पार्टी जैसे छोटे-छोटे दल भी कुछ हद तक असर रखते हैं लेकिन वे भी शायद ही मुख्य लड़ाई में नजर आएं। इस तरह हरियाणा मेे आप एक महत्वपूर्ण फैक्टर तो है, लेकिन मुकाबले को त्रिकोणीय करने की हद तक उसकी ताकत नजर नहीं आ रही।
इंडियन नेशनल लोकदल ने वर्ष 1999 और 2000 में दो बार सरकार बनाई थी। इनेलो के मुख्यमंत्री ओमप्रकाश चौटाला का पहला कार्यकाल 224 दिन का रहा। उन्होंने 2000 से 2005 के बीच अपना पांच साल का कार्यकाल पूरा किया था। इससे पहले ओम प्रकाश चौटाला ने जनता दल और समाजवादी जनता पार्टी से चुनाव जीतकर भी सरकारें बनाई थीं। जेजेपी ने भी साढ़े चार साल तक भाजपा के साथ गठबंधन कर सरकार चला सकी। लेकिन 2024 के हरियाणा विधानसभा चुनाव में राजनीतिक हालात पूरी तरह बदल चुके हैं। क्षेत्रीय पार्टियां हाशिए पर आ चुकी हैं और इनके वजूद पर सवालिया निशान लग चुका है। इसलिए दूसरे प्रदेशों के दलों से गठबंधन करके चुनाव लडऩा पड़ रहा है।
वही दूसरी तरफ अब गोपाल कांडा ने बीएसपी और आईएनएलडी के साथ गठबंधन कर सबको चौंका दिया है। आईएनएलडी और बीएसपी का चुनाव से पहले गठबंधन हुआ है। अब इन दोनों को एक और साथी मिल गया है। इस गठबंधन में आईएनएलडी के 53 सीटों और बसपा 37 सीटों पर चुनाव लडऩे की बात हुई थी। वहीं अभय चौटाला को मुख्यमंत्री के चेहरे के तौर पर पेश किया जा रहा है।