🙏🌹 हुकमनामा श्री हरमंदिर साहिब अमृतसर 🙏🌹
Hukamnama shri harimandir sahib ji
धर्म : रागु बिलावलु महला ५ घरु १३ पड़ताल ੴ सतिगुर प्रसादि ॥ मोहन नीद न आवै हावै हार कजर बसत्र अभरन कीने ॥ उडीनी उडीनी उडीनी ॥ कब घरि आवै री ॥१॥ रहाउ ॥ सरनि सुहागनि चरन सीसु धरि ॥ लालनु मोहि मिलावहु ॥ कब घरि आवै री ॥१॥ सुनहु सहेरी मिलन बात कहउ सगरो अहं मिटावहु तउ घर ही लालनु पावहु ॥ तब रस मंगल गुन गावहु ॥ आनद रूप धिआवहु ॥ नानकु दुआरै आइओ ॥ तउ मै लालनु पाइओ री ॥२॥ मोहन रूपु दिखावै ॥ अब मोहि नीद सुहावै ॥ सभ मेरी तिखा बुझानी ॥ अब मै सहजि समानी ॥ मीठी पिरहि कहानी ॥ मोहनु लालनु पाइओ री ॥ रहाउ दूजा ॥१॥१२८॥
अर्थ : हे मोहन-भगवान ! (जैसे पती से विछुड़ी हुई स्त्री चाहे) हार, काजल, कपड़े, गहिणे पहनती है, (पर विछोड़े के कारण) (उस को) नींद नहीं आती, (पती के इंतज़ार में वह) हर समय उदास उदास रहती है, (और सहेली से पुछती है-) हे बहन ! (मेरा पती) कब घर आएगा (इसी प्रकार, हे मोहन ! तेरे से विछुड़ के मुझे शांती नहीं आती)।1।रहाउ। हे मोहन भगवान ! मैं गुरमुख सुहागण की शरण पड़ती हूँ, उस के चरणों पर (अपना) सिर रख कर (पुछती हूँ-) हे बहन ! मुझे सुंदर लाल मिला दे (बता, वह) कब मेरे हृदय-घर में आएगा।1। (सुहागण कहती है-) हे सखी ! सुन, मैं तुझे मोहन-भगवान के मिलने की बात सुनाती हूँ। तूँ (अपने अंदर से) सारा अहंकार दूर कर के। तब तूँ अपने हृदय-घर में ही उस सुंदर लाल को खोज पाएगी। (हृदय-घर में उस का दर्शन कर के) फिर तूँ खुशी आनंद पैदा करने वाले हरि-गुण गायन करना, और उस भगवान का सुमिरन करना जो केवल आनंद ही आनंद-रूप है। हे बहन ! नानक (भी उस गुरु के) दर पर आ गया है, (गुरु के दर पर आ के) मैं (नानक ने हृदय-घर में ही) सुंदर लाल खोज लिया है।2। हे बहन ! (अब) मोहन भगवान मुझे दर्शन दे रहा है, अब (माया के मोह की तरफ से पैदा हुई) उपरामता मुझे मिठ्ठी लग रही है, मेरी सारी माया की तृष्णा मिट गई है। अब मैं आत्मिक अढ़ोलता में टिक गई हूँ। भगवान-पती की सिफ़त-सालाह की बाते मुझे प्यारी लग रही हैं। हे बहन ! अब मैंने सुंदर लाल मोहण खोज लिया है।रहाउ दूजा।1।128।