स्वास्थ्य मंत्री ने की राज्य में जल और वेक्टर जनित बीमारियों की रोकथाम और नियंत्रण की तैयारियों की समीक्षा
जल जनित और वीबीडी की रोकथाम और नियंत्रण के बारे में समुदाय के बीच जागरूकता को बढ़ावा देने की आवश्यकता
चंडीगढ, 23 जुलाई (विश्ववार्ता) पंजाब के स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्री डॉ बलबीर सिंह ने राज्य में जल और वेक्टर जनित बीमारियों की रोकथाम और नियंत्रण की तैयारियों की समीक्षा के लिए वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से एक उच्च स्तरीय बैठक की अध्यक्षता की।
जल जनित बीमारियों में डायरिया, हैजा और हेपेटाइटिस-ए शामिल हैं, जबकि वेक्टर जनित बीमारियों में मलेरिया, डेंगू और चिकनगुनिया शामिल हैं। बैठक में राज्य भर के डिप्टी कमिश्नर, सिविल सर्जन, शहरी स्थानीय निकाय (यूएलबी), जलापूर्ति एवं स्वच्छता विभाग और ग्रामीण विकास विभाग के वरिष्ठ अधिकारी शामिल हुए। ऐसी बीमारियों की रोकथाम और नियंत्रण को सामूहिक जिम्मेदारी बताते हुए मंत्री ने अधिकारियों को आईएमए सदस्यों के साथ जिला स्तरीय अंतर-विभागीय समन्वय समितियां बनाने के निर्देश दिए। जिला स्तर पर एक व्हाट्सएप ग्रुप बनाया जाना चाहिए, जहां संबंधित सिविल सर्जन बुखार, डायरिया, हैजा, डेंगू या मलेरिया रोगों के मामलों को संबंधित विभाग को अपडेट करने के लिए पोस्ट करेंगे ताकि वे उस विशेष क्षेत्र में उचित निवारक उपाय करने के लिए समय पर हस्तक्षेप कर सकें जहां से ऐसे मामले सामने आ रहे हैं।
मंत्री ने आगे कहा कि प्रकोप के मामले में, संबंधित जल आपूर्ति एजेंसी को उस दोष का पता लगाना चाहिए जहां पीने योग्य पानी प्रदूषित हो रहा है और जल्द से जल्द उस दोष को ठीक करना चाहिए। उन्होंने कहा कि जब तक समस्या का समाधान नहीं हो जाता, तब तक आम जनता को वैकल्पिक स्रोत से पेयजल उपलब्ध कराया जाना चाहिए, ताकि मामले और न बढ़ें। गांवों में खराब पड़े आरओ सिस्टम को गंभीरता से लेते हुए मंत्री ने अधिकारियों को निर्देश दिया कि इन आरओ को पूरी तरह से चालू किया जाए, ताकि लोगों को सुरक्षित पेयजल मिल सके। स्वास्थ्य मंत्री ने कहा, “वेक्टर ट्रांसमिशन की श्रृंखला को रोकने के लिए समुदाय का समर्थन महत्वपूर्ण है।
जल जनित और वीबीडी की रोकथाम और नियंत्रण के बारे में समुदाय के बीच जागरूकता को बढ़ावा देने की आवश्यकता है।”
स्कूली बच्चों को शिक्षित करने की आवश्यकता पर जोर देते हुए उन्होंने कहा कि वे मच्छरों के लार्वा की पहचान करने और अपने आसपास के लोगों को मच्छरों के प्रजनन को रोकने के लिए लार्वा की पहचान करने में मदद करने के लिए जागरूक करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकते हैं। मंत्री ने राज्य में ‘डेंगू/मलेरिया मुक्त गांव’ अभियान शुरू करने की भी घोषणा की, जिसके तहत यदि कोई आशा कार्यकर्ता अपने गांव को डेंगू/मलेरिया मुक्त घोषित करती है, तो स्वास्थ्य विभाग द्वारा उसे सम्मानित किया जाएगा।
डॉ. बलबीर सिंह ने कहा कि वेक्टर जनित बीमारियों को फैलने से रोकने के लिए आस-पास के वातावरण को साफ और मच्छरों से मुक्त रखने के लिए सरल कदम उठाए जा सकते हैं। रुके हुए पानी की जांच की जानी चाहिए और लार्वा स्थलों को प्रभावी ढंग से निष्क्रिय किया जाना चाहिए। उन्होंने कहा कि वेक्टर नियंत्रण कार्यक्रम की सफलता सामुदायिक भागीदारी और स्वामित्व से जुड़ी है। मंत्री ने बताया कि डेंगू के मामलों के प्रबंधन के लिए सरकारी अस्पतालों में समर्पित डेंगू वार्ड स्थापित किए गए हैं। राज्य में डेंगू के निशुल्क निदान के लिए 47 सेंटिनल सर्विलांस अस्पताल स्थापित किए गए हैं, साथ ही सभी सरकारी अस्पतालों में डेंगू के मरीजों को निशुल्क उपचार भी प्रदान किया जा रहा है।
आम आदमी क्लीनिकों के कर्मचारियों और पंचायत विभाग के ग्राम सेवकों को डब्ल्यूबीडी और वीबीडी के प्रसार को नियंत्रित करने के लिए निवारक उपाय करने के लिए प्रशिक्षित किया जा रहा है। स्वास्थ्य मंत्री ने स्थानीय निकाय विभाग को शहरों और कस्बों में नियमित अंतराल पर फॉगिंग करने और फॉगिंग शेड्यूल को अग्रिम आधार पर स्वास्थ्य विभाग के साथ साझा करने के निर्देश दिए। इस अवसर पर सहायक निदेशक डॉ. गगनदीप सिंह और राज्य कार्यक्रम अधिकारी डॉ. अर्शदीप कौर द्वारा इन रोगों से संबंधित एक व्यापक प्रस्तुति दी गई, जिसमें हाल के वर्षों के तथ्यों का गहन विश्लेषण किया गया और स्वास्थ्य विभाग द्वारा उठाए गए कदमों के बारे में विस्तार से बताया गया। बैठक के दौरान पीएचएससी के एमडी वरिंदर शर्मा, स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण निदेशक डॉ. हितिंदर कौर और पीएचएससी के निदेशक डॉ. अनिल गोयल भी मौजूद थे।