रिलीज से पहले ही विवादों में फंसी कंगना रनौत की ‘इमरजेंसी
एसजीपीसी अध्यक्ष ने प्रसारण मंत्री अश्विनी वैष्णव से इमरजेंसी फिल्म पर तुरंत रोक लगाने की मांग की
चंडीगढ, 22 अगस्त (विश्ववार्ता) एक्ट्रेस से पॉलीटिशियन बनी कंगना रनौत कीइन दिनों एक्ट्रेस अपनी अपकमिंग फिल्म ‘इमरजेंसी’ को लेकर सुर्खियों में बनी हुई हैं कंगना रनौत की फिल्म इमरजेंसी का ट्रेलर रिलीज होने के बाद एक नया विवाद खड़ा हो गया है।शिरोमणि गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी के अध्यक्ष हरजिंदर सिंह धामी ने फ़िल्म को सिख विरोधी बताया है. फिल्म और कंगना के खिलाफ FIR भी दर्ज करने की मांग की है. इतना ही नहीं उन्होंने फ़िल्म को पास करने के लिए CBFC की भी आलोचना की और फिल्म के तथ्यों के विश्लेषण के लिए SGPC के प्रतिनिधियों को भी शामिल करने की मांग की है। उन्होंने कहा कि सिख विरोधी और पंजाब विरोधी बयानों के कारण विवादों में रहने वाली अभिनेत्री कंगना रनौत ने सिखों का जानबूझकर चरित्र हनन करने के इरादे से यह फिल्म बनाई है, जिसे सिख समुदाय बर्दाश्त नहीं कर सकता। हरजिंदर सिंह धामी ने कहा कि जून 1984 के महान शहीदों के बारे में सिख विरोधी नैरेटिव बनाना समुदाय का अपमान करने का घृणित कृत्य है।
उन्होंने कहा कि जून 1984 में सिख विरोधी बर्बरता को कौम कभी नहीं भूल सकती तथा श्री अकाल तख्त साहिब द्वारा संत जरनैल सिंह खालसा भिंडरावाले को कौमी शहीद घोषित किया गया है, जबकि कंगना रनौत की फिल्म उनके चरित्र हनन की कोशिश कर रही है। कंगना रनौत ने कई बार जानबूझकर सिखों की भावनाओं को भड़काने वाले बयान दिए हैं, लेकिन सरकार उनके खिलाफ कार्रवाई करने की बजाय उन्हें बचा रही है।
हरजिंदर सिंह धामी ने कहा कि फिल्मों से जुड़े ऐसे कई मामले पहले भी सामने आ चुके हैं, जब सिख पात्रों और सिखों की धार्मिक चिंताओं को गलत तरीके से पेश किए जाने के कारण सिख भावनाओं को ठेस पहुंची है। उन्होंने केंद्रीय सूचना एवं प्रसारण मंत्री अश्विनी वैष्णव से कंगना रनौत की इमरजेंसी फिल्म पर तुरंत रोक लगाने की मांग की और कहा कि अब से यह सुनिश्चित किया जाना चाहिए कि सिख विरोधी भावनाओं वाली कोई भी फिल्म रिलीज न हो।
हरजिंदर सिंह धामी ने केंद्रीय फिल्म प्रमाणन बोर्ड में सिख सदस्यों को शामिल करने का आह्वान किया, क्योंकि सिख सदस्य न होने के कारण पक्षपातपूर्ण निर्णय लिए जा रहे हैं। उन्होंने कहा कि एसजीपीसी ने पहले भी कई बार अपनी आम बैठक में प्रस्ताव पारित करके मांग की है कि केंद्रीय फिल्म प्रमाणन बोर्ड में सिखों का एक प्रतिनिधि अवश्य शामिल किया जाए, लेकिन दुख की बात है कि सरकार इस पर अमल नहीं कर रही है। एसजीपीसी अध्यक्ष ने कहा कि इस फिल्म पर प्रतिबंध लगाना बहुत जरूरी है क्योंकि इस फिल्म के रिलीज होने से सिख समुदाय में काफी रोष और नाराजगी पैदा होना स्वाभाविक है।