राष्ट्रपति ने पंजाब विश्वविद्यालय कानून संशोधन बिल 2023 को बिना मंजूरी के भेजा वापिस
सुप्रीम कोर्ट में पहुंचा था विवाद
चंडीगढ,, 17 जुलाई (विश्ववार्ता):पंजाब विश्वविद्यालय कानून (संशोधन) विधेयक, 2023 को राष्ट्रपति की मंजूरी नहीं मिली है। यह बिल पिछले साल 21 जून को सर्वसम्मति से पारित किया गया था। विधेयक के तहत राज्य के 12 राज्य विश्वविद्यालयों के कुलपति की शक्ति राज्यपाल से लेकर मुख्यमंत्री को दे दी गई थी। हालांकि उक्त विधेयक के वापस लिए जाने से अब राज्यपाल ही राज्य के सभी विश्वविद्यालयों के कुलाधिपति होंगे।
दिसंबर 2023 में उपरोक्त विधेयक, सिख गुरुद्वारा (संशोधन) विधेयक, 2023 और पंजाब पुलिस (संशोधन) विधेयक, 2023 के साथ, पंजाब के राज्यपाल बनवारी लाल पुरोहित द्वारा राष्ट्रपति के विचार के लिए रोक लिया गया था।
फिर इन विधेयकों को राष्ट्रपति के पास भेजा गया। उच्च शिक्षा विभाग के आधिकारिक सूत्रों ने पुष्टि की है कि राष्ट्रपति ने इस विधेयक के माध्यम से मांगे गए संशोधनों पर अपनी सहमति नहीं दी है।
पंजाब कृषि विश्वविद्यालय, लुधियाना और बाबा फरीद यूनिवर्सिटी ऑफ हेल्थ साइंसेज, फरीदकोट के कुलपतियों की नियुक्ति को लेकर पंजाब के राज्यपाल और मुख्यमंत्री के बीच गतिरोध के बाद पिछले साल पंजाब विधानसभा द्वारा यह विधेयक पारित किया गया था।
पंजाब संबद्ध कॉलेज (सेवा सुरक्षा) संशोधन विधेयक, 2023 के साथ ये तीन विधेयक पिछले साल जून में पंजाब विधानसभा के दो दिवसीय विशेष सत्र के दौरान पारित किए गए थे। राज्यपाल द्वारा जून 2023 के सत्र को ‘स्पष्ट रूप से अवैध’ घोषित करने के बाद ये विधेयक महीनों तक लंबित रहे। इससे सत्र में पारित विधेयकों की वैधता पर संदेह पैदा हो गया था।
बाद में नवंबर में सुप्रीम कोर्ट ने उक्त सत्र को संवैधानिक रूप से वैध घोषित किया था और राज्यपाल को उस सत्र के दौरान पारित 4 विधेयकों पर निर्णय लेने के लिए कहा था। राज्यपाल ने पंजाब संबद्ध कॉलेज (सेवा सुरक्षा) संशोधन विधेयक को मंजूरी दे दी थी, जिसने सरकारी सहायता प्राप्त कॉलेजों के लिए पंजाब शैक्षिक न्यायाधिकरण के कामकाज के लिए नियम निर्धारित किए। उल्लेखनीय है कि राज्यपाल विश्वविद्यालयों का पदेन कुलाधिपति होता है। पिछले दो वर्षों में, पश्चिम बंगाल, महाराष्ट्र (जब उद्धव ठाकरे सीएम थे), राजस्थान, तमिलनाडु और केरल की विधानसभाओं ने भी राज्यपालों को कुलाधिपति पद से हटाने या उनकी शक्तियों में कटौती करने के लिए विधेयक पारित किए।